मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात: तीस्ता नदी परियोजना पर हो सकती है चर्चा, भारत की बढ़ी चिंता!
नई दिल्ली: हाल ही में चीन की यात्रा पर गए बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई हलचल मचा दी है। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में बहुप्रतीक्षित तीस्ता नदी परियोजना पर चर्चा होने की संभावना है, जो भारत के लिए चिंता का कारण बन सकती है। मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात इस समय सुर्खियों में है, और इसकी वजह से तीस्ता नदी के आसपास के भौगोलिक और राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है।
तीस्ता नदी परियोजना पर भारत और चीन के बीच संघर्ष
तीस्ता नदी बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, और इस पर जल प्रबंधन को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच कई वर्षों से चर्चा चल रही है। लेकिन अब मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद चीन के हस्तक्षेप की संभावना ने भारत को असमंजस में डाल दिया है। पहले, बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने भारत को इस परियोजना के लिए प्राथमिकता दी थी, लेकिन अब नई बांग्लादेश सरकार और चीन के बीच नजदीकियां भारत के लिए खतरे की घंटी बजा सकती हैं।
तीस्ता नदी परियोजना और चीन का दिलचस्पी
चीन की नजर लंबे समय से तीस्ता नदी परियोजना पर है। इस परियोजना का उद्देश्य बांग्लादेश के उत्तरी हिस्सों में जल संकट को हल करना है। मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात के साथ इस परियोजना पर चीन की दिलचस्पी और बढ़ गई है। चीन पहले से ही इस नदी परियोजना के लिए सर्वेक्षण कर चुका है और 2026 में बांग्लादेश ने चीन की सरकारी कंपनी के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया था।
इस समझौते के तहत, चीन ने तीस्ता नदी के प्रबंधन के लिए मास्टर प्लान तैयार किया, जिसे 2024 तक अंतिम रूप देने की योजना है। मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात में इस परियोजना को लेकर और भी महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं, जिससे भारत के लिए चुनौती बढ़ सकती है।
भारत की चिंता
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि तीस्ता नदी का पानी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यदि चीन इस परियोजना में बांग्लादेश को समर्थन देता है और तीस्ता नदी के जल प्रबंधन पर नियंत्रण प्राप्त करता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी भूराजनैतिक चुनौती होगी। भारत की जल कूटनीति पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। ऐसे में मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात को भारत के रणनीतिकार बड़े ध्यान से देख रहे हैं।
बांग्लादेश और चीन के बढ़ते रिश्ते
मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात इस बात का प्रमाण है कि बांग्लादेश और चीन के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। बांग्लादेश ने हाल के वर्षों में चीन से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए आर्थिक मदद ली है। मोहम्मद यूनुस की इस मुलाकात के दौरान, बांग्लादेश ने चीन से अपने ऋणों पर ब्याज दरों में कटौती और कुछ परियोजनाओं पर शुल्क माफ करने का भी आग्रह किया है।
इससे यह साफ है कि बांग्लादेश अब चीन के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करना चाहता है, जो भारत के लिए एक नई चुनौती पेश करता है। मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद बांग्लादेश-चीन संबंधों में और भी तेजी देखने को मिल सकती है।
बांग्लादेश के लिए अवसर या खतरा?
मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात को बांग्लादेश के लिए एक नए अवसर के रूप में देखा जा रहा है। चीन की आर्थिक शक्ति का लाभ उठाकर बांग्लादेश अपने विकासशील परियोजनाओं को गति देना चाहता है। तीस्ता नदी परियोजना में चीन की भागीदारी बांग्लादेश के लिए जल प्रबंधन और कृषि उत्पादकता में सुधार का बड़ा अवसर साबित हो सकती है।
लेकिन दूसरी ओर, चीन की इतनी गहरी भागीदारी बांग्लादेश के लिए खतरे का भी संकेत हो सकती है, क्योंकि चीन अपने निवेश के माध्यम से देशों पर प्रभाव डालने की कोशिश करता है। मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद यह देखना होगा कि बांग्लादेश किस हद तक चीन के प्रभाव को स्वीकार करता है और भारत के साथ अपने संबंधों को कैसे संतुलित करता है।
भारत की रणनीति
भारत को अब अपनी कूटनीतिक और जल नीति पर पुनर्विचार करना होगा। मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद, भारत को तीस्ता नदी परियोजना में अपनी भागीदारी को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करे, ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
इसके अलावा, भारत को पश्चिम बंगाल में भी जल प्रबंधन को लेकर अपनी योजनाओं को और मजबूत करना होगा, ताकि तीस्ता नदी पर चीन का प्रभाव न बढ़े।
निष्कर्ष
मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात न केवल बांग्लादेश-चीन के बीच रिश्तों को मजबूत करने का संकेत है, बल्कि यह भारत के लिए एक नई चुनौती का भी प्रतीक है। तीस्ता नदी परियोजना पर चीन की भागीदारी भारत के लिए एक गंभीर कूटनीतिक संकट पैदा कर सकती है।
आने वाले दिनों में मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात के नतीजों पर सबकी नजरें होंगी। भारत को अपनी रणनीतिक पोजीशन को मजबूत करने और बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को संतुलित करने के लिए नए कदम उठाने की आवश्यकता है।
मोहम्मद यूनुस की शी जिनपिंग से मुलाकात इस बात का संकेत है कि वैश्विक राजनीति में पानी के मुद्दों को लेकर एक नया अध्याय शुरू हो रहा है, और भारत को इसके लिए तैयार रहना होगा।
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