उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हाल ही में हुए उपचुनाव ने राज्य की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान और समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार अजीत प्रसाद के बीच मुख्य मुकाबला था। चुनाव परिणामों में भाजपा के चंद्रभानु पासवान ने सपा के अजीत प्रसाद पर निर्णायक बढ़त हासिल की है।
भाजपा के चंद्रभानु पासवान को 36 हज़ार 291 वोट मिले हैं वहीं सपा के अजीत प्रसाद को 17 हज़ार 537 वोट मिले हैं. इसे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने वाले आज़ाद समाज पार्टी (काशीराम) के प्रत्याशी सूरज चौधरी उर्फ़ संतोष कुमार को मात्र 1,239 वोट मिले हैं. मतगणना कुल 30 राउंड में होनी है.
भारतीय जनता पार्टी ने यहां चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया था वहीं समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव में उतारा था.
दरअसल पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर से ही विधायक रहे अवधेश प्रसाद फ़ैज़ाबाद से जीत गए थे. इस कारण यह विधानसभा सीट ख़ाली हो गई थी.
\अवधेश प्रसाद ने अयोध्या की फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट से भाजपा के लल्लू सिंह को हराया था. लल्लू सिंह लगातार दो बार वहाँ से सांसद रहे थे. उनकी इस जीत की राष्ट्रीय स्तर पर ख़ूब चर्चा हुई थी.

प्रतिक्रियाएं:
चंद्रभानु पासवान ने अपनी जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों को दिया। उन्होंने कहा, “जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की नीतियों के पक्ष में अपना समर्थन दिया है। मैं आभार प्रकट करता हूं।”
वहीं, सपा के सांसद अवधेश प्रसाद ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ने बेईमानी का रिकॉर्ड तोड़ दिया और बूथ कैप्चरिंग की। उन्होंने कहा, “हमने कई बार चुनाव आयोग के सामने पूरी बात रखी। हमारी सारी शिकायतें चुनाव में साबित हो रही थीं। भाजपा के गुंडे बूथ कैप्चर कर रहे थे। लेकिन चुनाव आयोग ने कुछ नहीं किया। इसके बावजूद भाजपा हारेगी। सपा का उम्मीदवार जीतेगा।”
राजनीतिक महत्व:
मिल्कीपुर उपचुनाव भाजपा और सपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था। 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या जिले की फैजाबाद सीट पर भाजपा की हार के बाद, इस उपचुनाव में जीत पार्टी के लिए महत्वपूर्ण थी। भाजपा की इस जीत को 2024 के नतीजों के बाद विपक्ष को अयोध्या के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
मिल्कीपुर उपचुनाव के परिणाम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया है। भाजपा की इस जीत से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह है, जबकि सपा को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह उपचुनाव राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।