🕒 Published 1 month ago (12:29 PM)
मुर्शिदाबाद: मुड़कर देखा तो गोली मार देंगे । यह आरोप बीएसएफ पर लगाया है महाराष्ट्र पुलिस द्वारा पकड़े गए मजदूरों ने । मजदूर बोले हम गिड़गिड़ाते रहे, रोते रहे पर कोई सुनने वाला नहीं था । क्या करें कहां जाएं करें तो क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था। यह व्यथा है उन मजदूरों की जिन्हें बांग्लादेशी बताकर सीमापार भेजने की कोशिश की गई है।
Illegal Detention by Maharashtra Police
Illegal Detention by Maharashtra Police, इस चौकाने वाले मामले में मजदूरों की कहानी और उनके आरोप कुछ यूं है कि महाराष्ट्र पुलिस ने एक सर्च अभियान चलाया । जिसमें कुछ प्रवासी मजदूरों को पकड़ लिया और उनके दस्तावेज चैक किए और फिर उन्हे बांग्लादेशी नागरिक बताकर जबरदस्ती भारत – बांग्लादेश सीमा पर सीमा सुरक्षा बल को सौंप दिया। मजदूरों का कहना था कि इसके बाद उनके साथ जो कुछ हुआ वह और भी डरा देने वाला था। इसके सीमा पर इन मजदूरों को 300 बांग्लादेशी टका दिया और जबरन सीमा पार जाने को कहा । साथ ही चेतावनी दी गई की मुड़कर देखा तो गोली मार दी जाएगी।
महाराष्ट्र से लाकर बंगाल बॉर्डर पर छोड़ा गया
आरोप लगाने वाले मजदूरों ने दावा है कि वे महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी करते थे। कुछ समय पहले स्थानीय पुलिस ने उन्हें अवैध रूप से हिरासत में ले लिया (Illegal Detention by Maharashtra Police)। और फिर बिना किसी ठोस दस्तावेजी प्रक्रिया के “बांग्ला देशी घुसपैठिया” कहकर भारत बांग्लादेश सीमा तक पहुंचा दिया। पीड़ितों मजदूरों का कहना था कि न तो उनकी नागरिकता की जांच की गई जांची गई और न ही कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई। “हमने अपना वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी दिखाया, परंतु पुलिस ने इस दस्तावेजों को नकली बताया और उनकी एक भी नहीं सुनी। मुर्शिदाबाद पहुंचने के बाद मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन और मानवाधिकार संगठनों से मदद की अपील की है। उनका कहना है कि वे भारत के नागरिक हैं और वर्षों से विभिन्न राज्यों में काम कर रहे हैं।
मामला बहुत ही संवेदनशील
यह मामला बहुत ही संवेदनशील है । यह राजनीतिक विवाद को भी बढ़ा सकता है । नागरिकता और मानवाधिकार दोनों ही संवेदनशील विषय हैं। यदि मजदूरों के दावों में सच्चाई है तो यह बीएसफ की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा कर सकती है साथ ही महाराष्ट्र पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है। मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में मानवाधिकार आयोग से दखल की मांग की है।
BSF और महाराष्ट्र पुलिस की कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं
इस गंभीर आरोप पर अब तक न तो BSF और न ही महाराष्ट्र पुलिस की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने आया है। लेकिन प्रशासनिक हलकों में हलचल शुरू हो गई है। इस मामले के वाद एक बार फिर भारत में नागरिकता, पहचान और सीमाओं की संवेदनशीलता को उजागर करता है। एक ओर जहां सरकार अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है, वहीं ऐसे घटनाक्रमों से निर्दोष नागरिकों को भारी मानसिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
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