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मेट्रो विस्तार भूमि पूजन, नहीं पहुंचे राव इंद्रजीत, बड़ा सियासी संकेत

सबसे पहले आपको याद दिला दूं  कि कल ही  हमने कहा था, एक संशय जताया था कि गुरुग्राम में मेट्रो विस्तार के भूमि पूजन में सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पहुंचेंगे या नहीं, ये साफ नहीं है। और हुआ क्या? बिल्कुल वही जो हमने कहा था… राव इंद्रजीत नहीं पहुंचे। अब सवाल ये है—क्यों नहीं पहुंचे? क्या वाकई वे सिर्फ शहर से बाहर थे? या फिर ये गैरहाजिरी एक बड़ा सियासी मैसेज है?

अहीरवाल की अंदरूनी राजनीति की जंग

सोचिए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस प्रोजेक्ट की नींव फरवरी 2024 में रख दी थी। शुक्रवार को जब इसका भूमि पूजन समारोह था, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर मंच पर मौजूद थे। राव नरबीर सिंह जैसे स्थानीय मंत्री भी मौजूद थे। पूरा कार्यक्रम भव्य तरीके से आयोजित हुआ… लेकिन जिस शख्स ने इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे ज्यादा आवाज उठाई, वो सांसद ही गैरहाजिर रहे! तो क्या ये मान लिया जाए कि राव इंद्रजीत अब खुद को इस मंच का हिस्सा नहीं मानते? क्या उनकी नाराजगी मुख्यमंत्री सैनी से है?….क्या उनके और खट्टर के बीच की पुरानी तल्खियां अब भी बाकी हैं? या फिर ये अहीरवाल की अंदरूनी राजनीति की जंग है?

राजनीति में मौन ही सबसे बड़ा बयान

राजनीति में कहा जाता है कि मौन ही सबसे बड़ा बयान होता है। और राव साहब का ये मौन, ये गैर मौजूदगी, बीजेपी की अंदरूनी राजनीति का सबसे खुला सबूत नहीं है तो और क्या है?….याद कीजिए, खुद राव इंद्रजीत ने बयान दिया था कि “नायब सिंह सैनी की सरकार वही बाबू चला रहे हैं, जो खट्टर के वक्त चला रहे थे।” ये कोई साधारण टिप्पणी नहीं थी। ये सीधे-सीधे मौजूदा नेतृत्व पर अविश्वास था। और अब भूमि पूजन कार्यक्रम में उनकी गैरहाजिरी… क्या ये उसी नाराजगी का विस्तार नहीं है? अब बात करते हैं खट्टर और राव इंद्रजीत के रिश्तों की। खट्टर के खिलाफ उन्होंने कई बार कहा कि वे पूरे हरियाणा का काम तो करवाते हैं, लेकिन जननेता नहीं बन पाए। यानी खट्टर पर तंज कसना उनका पुराना शगल रहा है। तो जब खट्टर मंच पर हों, सैनी मंच पर हों, राव नरबीर मंच पर हों… तो राव इंद्रजीत क्यों शामिल होते?

राव इंद्रजीत और राव नरबीर की खींचतान किसी से छिपी नहीं

अहीरवाल की राजनीति में तो मामला और दिलचस्प है। राव इंद्रजीत और राव नरबीर की खींचतान किसी से छिपी नहीं। मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में दोनों गुट इस कदर भिड़ गए कि पार्षदों को नेपाल तक भेजा गया। तो सोचिए—ऐसे मंच पर राव इंद्रजीत की मौजूदगी क्या वाकई संभव थी?….याद कीजिए, आरती राव के घर का वो डिनर… जहां अहीरवाल के तमाम विधायक जुटे थे। उसके बाद ऐसा तूफान खड़ा हुआ कि खुद राव साहब को सफाई देनी पड़ी। और फिर खुद आरती राव और राव इंद्रजीत का बयान—“हमने हवा बनाई तभी बीजेपी तीसरी बार सत्ता में लौटी।” इस बयान ने तो मानो पार्टी के भीतर बम फोड़ दिया।….मुख्यमंत्री सैनी ने जवाब दिया “सरकार तीन करोड़ जनता ने बनाई है।” प्रदेश अध्यक्ष बड़ोली ने कहा “कोई एक आदमी हवा नहीं बनाता।”  ये प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि बीजेपी की नाव ऊपर से जितनी मजबूत दिखती है, अंदर से उतनी ही दरारों से भरी हुई है।

मेट्रो प्रोजेक्ट नेताओं की श्रेय की होड़ का अखाड़ा

अब बड़ा सवाल मेट्रो प्रोजेक्ट का लाभ जनता को मिलेगा या ये सिर्फ नेताओं की श्रेय की होड़ का अखाड़ा बनकर रह जाएगा?….क्या जनता ट्रैफिक जाम से छुटकारा पाएगी या फिर सिर्फ भाषण सुनती रहेगी? क्या गुरुग्राम के विकास को प्राथमिकता मिलेगी या फिर गुटबाजी में ये प्रोजेक्ट भी बलि चढ़ जाएगा?… प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में मेट्रो विस्तार को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना है। लेकिन गुरुग्राम के मंच पर अपने ही सांसद का गायब रहना… क्या ये बीजेपी की एकता पर सवाल नहीं खड़ा करता?….गुरुग्राम आज आईटी, बीपीओ, स्टार्टअप्स और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का गढ़ है। यहां 250 से ज्यादा फॉर्च्यून 500 कंपनियां काम कर रही हैं। लेकिन गुरुग्राम की राजनीति—वो अब भी पुराने ढर्रे पर, गुटबाजी और व्यक्तिगत रंजिशों पर चल रही है।

  • अब सवाल ये है क्या जनता को मेट्रो चाहिए या नेताओं को श्रेय ?
  • क्या गुरुग्राम विकास की पहचान बनेगा या बीजेपी की अंदरूनी लड़ाइयों का मैदान?
  • क्या राव इंद्रजीत का ये कदम भविष्य की किसी बड़ी सियासी हलचल का संकेत है?
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