मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को किया माफ, लेकिन ससुर अशोक सिद्धार्थ पर नाराज़गी बरकरार

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By Rita Sharma

🕒 Published 2 months ago (10:40 AM)

Mayawati : बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने पार्टी से निष्कासित किए गए अपने भतीजे आकाश आनंद को एक और मौका देते हुए माफ कर दिया है। मायावती का यह फैसला आकाश आनंद की सार्वजनिक माफी और पार्टी के प्रति समर्पण के बाद आया है। हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया है कि आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को माफ नहीं किया जाएगा।

आकाश आनंद की माफ़ी और मायावती का जवाब

आकाश आनंद ने X (पूर्व ट्विटर) पर चार पोस्ट करते हुए अपनी भूलों के लिए माफी मांगी थी और भविष्य में ऐसी कोई गलती न करने का संकल्प लिया था। उन्होंने लिखा, “मैं सिर्फ बहनजी के दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करूंगा, बड़ों का सम्मान करूंगा और पार्टी के अनुभवशील लोगों से सीख लूंगा।”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मायावती ने कहा, “आकाश आनंद ने सार्वजनिक रूप से अपनी गलतियों को माना है, सीनियर नेताओं का आदर किया है और अपने ससुर की बातों में न आकर पार्टी व मूवमेंट के लिए जीवन समर्पित करने की बात कही है। इसलिए उन्हें एक और मौका देने का निर्णय लिया गया है।”

उत्तराधिकारी पर मायावती का दो टूक बयान

मायावती ने इस मौके पर पार्टी नेतृत्व को लेकर भी स्पष्टता दी। उन्होंने लिखा, “जब तक मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं, तब तक मैं ही पार्टी और मूवमेंट के लिए समर्पित रहूंगी। ऐसे में उत्तराधिकारी की कोई जरूरत नहीं है और मैं अपने निर्णय पर अटल रहूंगी।”

अशोक सिद्धार्थ को लेकर अब भी नाराज़

हालांकि मायावती ने आकाश को माफ कर दिया है, लेकिन उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को लेकर उनकी नाराजगी जस की तस बनी हुई है। मायावती ने कहा, “अशोक सिद्धार्थ की गलतियां अक्षम्य हैं। उन्होंने पार्टी में गुटबाजी कर आकाश के करियर को भी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे व्यक्ति को माफ करने या पार्टी में वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता।”

क्या था पूरा मामला?

कुछ हफ्ते पहले मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसका मुख्य कारण उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ का पार्टी पर बढ़ता प्रभाव और गुटबाजी को बताया गया था। मायावती ने उस समय कहा था कि पार्टी और मूवमेंट की भलाई के लिए यह कठोर कदम उठाना जरूरी था।

अब जबकि आकाश ने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है और ससुर के प्रभाव से खुद को अलग कर लिया है, उन्हें पार्टी में दोबारा काम करने का मौका मिल गया है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर बसपा के आंतरिक समीकरणों को चर्चा में ला दिया है।

 

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