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जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन, ओवैसी ने वक्फ संशोधन बिल पर सरकार पर साधा हमला

दिल्ली के जंतर-मंतर पर शनिवार को वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आयोजित किया। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी रैली में शरीक हुए और केंद्र सरकार की नीयत पर तीखा सवाल उठाया। उनका कहना था कि यह बिल वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करने की कोशिश है और मस्जिदों व कब्रिस्तानों की जमीनों को खतरे में डालता है।

क्या है ओवैसी की चिंता?

ओवैसी ने कहा कि अगर यह विधेयक पारित हुआ तो अधिकारी किसी भी वक्फ संपत्ति के सामने यह दलील पेश कर सकते हैं कि वह वक्फ की नहीं है — और जांच के दौरान उस संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी तर्क के जरिये समय आने पर मौजूदा वक्फ संपत्तियों पर दावा किया जा सकता है, और यही बिल की मूल मंशा दिखती है।

जवाब में आंदोलन तेज करने की चेतावनी

ओवैसी ने यह भी कहा कि बिल असंवैधानिक है और मुसलमानों में इसका व्यापक असर होगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ मिलकर विरोध तेज किया जाएगा और वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इससे पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो कड़ा संघर्ष करेंगे।

सर्वे—तरीके से लेकर देर से रोक तक के सवाल

ओवैसी ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के सर्वे को भी सवालों के घेरे में देखा जा रहा है — उनका तर्क था कि कलेक्टर जैसी सरकारी इकाइयां अक्सर केंद्र की नीति के अनुरूप रिपोर्ट दे देंगी, जिससे बाद में संपत्तियों पर दावेदारी करना आसान हो जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की दरख्वास्त पर सिर्फ अंतरिम रोक आने का जिक्र करते हुए चिंता जताई।

NRC–NPR और न्यायपालिका पर आरोप

विधेयक के अलावा ओवैसी ने NRC–NPR से जुड़ी आशंकाओं का भी जिक्र किया और कहा कि ये पहलें समुदाय के खिलाफ लगातार बनती जा रही हैं। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस से जुड़ी कुछ पहलुओं पर भी सरकार की आलोचना की, बताकर कि कोर्ट पर भी राजनीतिक दबाव का असर दिखाई दे रहा है।

राज्य सरकारों और ‘बुलडोज़र’ नीतियों पर निशाना

उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर कार्रवाईयों का जिक्र करते हुए ओवैसी ने सवाल उठाया कि कुछ मामलों में कार्रवाई नेताओं के साथ नहीं की जाती — उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि नियम सबके लिए समान होते तो कुछ नेताओं के घरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी। उनका कहना था कि प्रशासन को ‘बुलडोजर’ से नहीं बल्कि कानून और संवैधानिक व्यवस्था से देश चलाना चाहिए।

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