Maoist Leader Basvaraju Encounter: नक्सली मुठभेड़ पर माओवादियों का पत्र, 28 की मौत, बसवराजू के मारे जाने की वजह खुद बताई

By Hindustan Uday

🕒 Published 2 months ago (10:21 AM)

Maoist Leader Basvaraju Encounter: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में हुए बड़े नक्सली मुठभेड़ के बाद माओवादी संगठन ने एक विस्तृत पत्र जारी कर घटना की पूरी जानकारी साझा की है। इस मुठभेड़ में 1.5 करोड़ के इनामी और माओवादी पार्टी के महासचिव नंबाला केशवराव उर्फ बसवराजू की मौत हो गई थी। अब माओवादियों ने अपने पत्र में स्वीकार किया है कि इस ऑपरेशन में उनके कुल 35 सदस्य शामिल थे, जिनमें से 28 मारे गए और 7 किसी तरह जान बचाने में सफल रहे।

मुठभेड़ की पूरी कहानी माओवादियों की ज़ुबानी

माओवादी संगठन की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि इस मुठभेड़ का अंदेशा पहले से था, लेकिन सुरक्षा बलों का बढ़ता दबाव और कुछ साथियों के आत्मसमर्पण करने के चलते बसवराजू की सुरक्षा कमजोर पड़ गई थी। पत्र में लिखा गया है कि “कामरेड बीआर दादा” यानी बसवराजू को सुरक्षित स्थान पर भेजने की कोशिश की गई थी, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। अंततः वे सुरक्षाबलों के घेरे में आ गए और मारे गए।

‘गद्दारों’ की भूमिका पर जताया गुस्सा

माओवादियों ने पत्र में आरोप लगाया है कि माड़ क्षेत्र की यूनिट के कई सदस्य पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर गए थे, जिनमें से कुछ बसवराजू की सुरक्षा में लगे लोग और यूनिफाइड कमांड के सदस्य भी शामिल थे। इन ‘गद्दारों’ की मदद से पुलिस को माओवादियों की गतिविधियों और ठिकानों की पूरी जानकारी मिलती रही, जिससे इतना बड़ा ऑपरेशन संभव हो सका।

कैसे घेराबंदी में फंसे माओवादी?

पत्र के मुताबिक, 17 मई से नारायणपुर और कोंडागांव डीआरजी के जवान ओरछा की ओर से ऑपरेशन में तैनात किए गए थे। 18 मई को दंतेवाड़ा, बीजापुर और बस्तर फाइटर्स की टुकड़ियां जंगल में घुस गईं। 19 मई की सुबह तक सुरक्षाबल नक्सलियों के काफी करीब पहुंच चुके थे। इसी दिन पहली मुठभेड़ सुबह 10 बजे हुई और इसके बाद अलग-अलग पांच झड़पें हुईं।

20 मई की रात सुरक्षाबलों ने माओवादियों को चारों तरफ से घेर लिया और 21 मई की सुबह अंतिम हमला किया गया। माओवादी दावा करते हैं कि उनके पास केवल 35 लोग थे, जिनके पास पर्याप्त खाना-पानी तक नहीं था। वहीं, हजारों की संख्या में आधुनिक हथियारों से लैस पुलिस बल हवाई मदद के साथ हमला कर रहा था।

बसवराजू की सुरक्षा को लेकर आखिरी तक थे अडिग

पत्र में लिखा गया है कि मुठभेड़ के दौरान माओवादी अपने नेता बसवराजू को सुरक्षित रखने की कोशिश करते रहे। शुरुआती राउंड में एक पुलिसकर्मी को मार गिराने के बाद कुछ देर तक माओवादी भारी प्रतिरोध कर पाए। लेकिन भारी शेलिंग के कारण बाकी लोग सुरक्षित निकल नहीं सके। आखिरकार, जब सभी साथी मारे गए तो बसवराजू को जिंदा पकड़कर मार दिया गया।

मारे गए 28 माओवादियों की सूची जारी

माओवादियों ने इस पत्र में मारे गए 28 साथियों के नामों की सूची भी जारी की है, जिनमें महासचिव बसवराजू, राज्य कमेटी के नेता नागेश्वर राव, संगीता, भूमिका, विवेक, सीवयपीसी सचिव चंदन, सदस्या सजंति और अन्य शामिल हैं।

शांति की बात और सरकार पर साजिश का आरोप

माओवादियों ने आरोप लगाया कि माड़ सब-ज़ोन में उन्होंने खुद एकतरफा सीजफायर घोषित किया था, ताकि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाया जा सके। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार ने इस सीजफायर का फायदा उठाकर धोखे से हमला किया। पत्र में इस बात पर चिंता जताई गई है कि मीडिया ने इस “षड्यंत्र” पर सवाल नहीं उठाए।

बसवराजू की सोच: “शहादतें बेकार नहीं जातीं”

पत्र के आखिरी हिस्से में माओवादी लिखते हैं कि बसवराजू ने पहले ही कहा था कि वे ज्यादा से ज्यादा दो-तीन साल तक नेतृत्व कर सकते हैं और इसके बाद युवा नेताओं को जिम्मेदारी देनी है। वे हमेशा यही कहते थे कि शहादतें किसी आंदोलन को कमजोर नहीं करतीं, बल्कि उसे नई ताकत देती हैं।

21 मई 2025 को अबूझमाड़ के जंगलों में हुई इस ऐतिहासिक मुठभेड़ ने नक्सल आंदोलन को एक बड़ा झटका दिया है। माओवादियों के खुद के बयान के मुताबिक, उन्होंने अपने शीर्ष नेतृत्व और दर्जनों वरिष्ठ साथियों को इस ऑपरेशन में खोया है। हालांकि वे इस हार को अस्थायी मानते हुए भविष्य में फिर से संगठित होने की बात कर रहे हैं।

इस घटनाक्रम से साफ है कि नक्सली संगठन के भीतर भी अब बड़ा विभाजन और असंतोष उभर रहा है, जो आने वाले समय में इस आंदोलन की दिशा और दशा तय कर सकता है।

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