🕒 Published 4 months ago (5:35 AM)
ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका, प्रदर्शनकारियों से हंसकर बोलीं- “आपको मिठाई खिलाऊंगी”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम जब भी सामने आता है, उनकी दबंगई, शालीनता और अद्वितीय राजनीतिक कौशल की बातें जरूर होती हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प वाकया हुआ जब ममता बनर्जी लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के केलॉग कॉलेज में भाषण दे रही थीं। यह घटना न सिर्फ राजनीतिक हलकों में बल्कि इंटरनेट पर भी खूब चर्चा का विषय बनी। यह कहना गलत नहीं होगा कि “ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका” और इस वाकये ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
भाषण के दौरान उठा हंगामा
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ममता बनर्जी को महिलाओं, बच्चों और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के सामाजिक विकास पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। वह बंगाल की ‘स्वास्थ्य साथी’ और ‘कन्याश्री’ जैसी योजनाओं का जिक्र कर रही थीं, जब अचानक कुछ छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने ममता बनर्जी के खिलाफ नारेबाजी की और राज्य में चुनाव और हिंसा से संबंधित मामले उठाए।
हालांकि, ममता बनर्जी इस तरह के विरोधों के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने बड़ी ही शांति से उन प्रदर्शनकारियों का सामना किया। “ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका”, लेकिन मुख्यमंत्री ने न केवल स्थिति को अच्छे से संभाला बल्कि अपने चिर-परिचित अंदाज में प्रदर्शनकारियों को जवाब भी दिया। उन्होंने कहा, “आप मेरा स्वागत कर रहे हैं, धन्यवाद। मैं आपको मिठाई खिलाऊंगी।”
ममता बनर्जी का हंसकर जवाब
मुख्यमंत्री के इस मजेदार और शालीन जवाब ने न केवल प्रदर्शनकारियों को चुप कर दिया बल्कि दर्शक दीर्घा में बैठे अतिथियों ने भी जोरदार तालियां बजाकर उनकी तारीफ की। ममता बनर्जी का यह जवाब उनकी सूझबूझ और सधी हुई राजनीति को दर्शाता है। उन्होंने शांत रहकर स्थिति को संभालने का प्रयास किया और यही वजह है कि “ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका” होने के बावजूद, उन्होंने विरोध को सकारात्मकता में बदल दिया।
आरजी कर मामले पर मुख्यमंत्री का जवाब
प्रदर्शनकारियों ने राज्य के आरजी कर कॉलेज से जुड़े मुद्दे उठाए और इसके खिलाफ नारेबाजी की। ममता बनर्जी ने इसका सधा हुआ जवाब देते हुए कहा, “थोड़ा जोर से बोलिए, मैं आपकी बात नहीं सुन पा रही हूं। मैं आपकी हर बात सुनूंगी। क्या आपको पता है कि यह मामला लंबित है? अब इसकी जांच केंद्र सरकार कर रही है, यह मामला हमारे हाथ में नहीं है।”
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “यह राजनीति का मंच नहीं है। मेरे राज्य में आइए और मेरे साथ राजनीति कीजिए।” इस तरह ममता बनर्जी ने विरोध का बड़ी ही समझदारी से सामना किया और विरोधियों को शांत करने में सफल रहीं।
जाधवपुर यूनिवर्सिटी की घटना पर प्रतिक्रिया
विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने जाधवपुर यूनिवर्सिटी की घटना का मुद्दा भी उठाया। ममता बनर्जी ने फिर एक प्रदर्शनकारी को भाई कहकर संबोधित किया और कहा, “झूठ मत बोलो। मुझे तुमसे सहानुभूति है, लेकिन इसे राजनीति का मंच मत बनाओ। बंगाल जाओ और अपनी पार्टी को मजबूत करो ताकि वे हमसे लड़ सकें।” मुख्यमंत्री के इस जवाब ने वहां मौजूद लोगों को काफी प्रभावित किया और दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाई।
ममता बनर्जी का संघर्ष और हौसला
ममता बनर्जी का यह अंदाज दिखाता है कि वह न केवल एक मजबूत नेता हैं बल्कि उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया है। “ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका”, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी बातों में जो मजबूती है, वह उनके संघर्षों और उनके अनुभवों से निकली हुई है। एक समय में संघर्षों से जूझते हुए राजनीति में आईं ममता बनर्जी ने बंगाल की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
विरोध प्रदर्शन के बावजूद, ममता बनर्जी का हंसते हुए जवाब देना यह दिखाता है कि वह विरोधियों से घबराती नहीं हैं। उनकी इसी खासियत ने उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया है।
ममता बनर्जी का संदेश
ममता बनर्जी का संदेश स्पष्ट था। वह विरोधियों को यह जताना चाहती थीं कि वह किसी भी तरह के विरोध से डरने वाली नहीं हैं। उनकी बातों में आत्मविश्वास झलक रहा था और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की कि यह राजनीति का मंच नहीं है। उन्होंने कहा, “मेरा अपमान करके अपनी संस्था का अपमान मत करो। मैं देश की प्रतिनिधि बनकर यहां आई हूं। अपने देश का अपमान मत करो।”
बंगाल टाइगर की तरह चलती हैं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने विरोधियों को समझाते हुए कहा, “याद रखिए, दीदी किसी की परवाह नहीं करतीं। दीदी रॉयल बंगाल टाइगर की तरह चलती हैं। अगर आप मुझे रोक सकते हैं, तो रोक लीजिए।” उनके इस बयान ने एक बार फिर उनकी हिम्मत और ताकत का परिचय दिया। वह विरोध से घबराने वाली नहीं हैं, बल्कि उसे हंसकर टाल देने वाली नेता हैं।
ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण: एक प्रेरणादायक उदाहरण
“ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका” होने के बावजूद, मुख्यमंत्री ने जिस तरह से स्थिति को संभाला, वह काबिले तारीफ है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि ममता बनर्जी न केवल एक सशक्त नेता हैं बल्कि वह हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहती हैं।
उनकी सधी हुई राजनीति और शांतिपूर्ण स्वभाव ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी सराहा जाता है। ऑक्सफोर्ड की इस घटना ने दिखा दिया कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आएं, ममता बनर्जी उन्हें अपने अनूठे अंदाज में हल कर लेंगी।
निष्कर्ष
इस पूरी घटना ने यह साबित कर दिया कि ममता बनर्जी न केवल एक सशक्त और अनुभवी नेता हैं बल्कि वह हर चुनौती को अपने अंदाज में हल करने में सक्षम हैं। “ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण बीच में रुका”, लेकिन इस घटना ने मुख्यमंत्री के व्यक्तित्व की ताकत को और भी उजागर किया।
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