भारत से डिपोर्टेड बांग्लादेशियों को ममता सरकार ने वापस बुलाया, बोलीं– BJP बंगाली भाषी को बना रही निशाना

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By Isha prasad

🕒 Published 7 hours ago (7:07 PM)

भारत में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ इन दिनों ऑपरेशन ‘पुश बैक’ तेजी से चलाया जा रहा है। दिल्ली, असम और बांग्लादेश की सीमा से सटे राज्यों के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी इस अभियान के तहत अवैध प्रवासियों को चिह्नित कर देश से बाहर भेजा जा रहा है। लेकिन इस ऑपरेशन के तहत एक गंभीर चूक सामने आई है, जिसमें महाराष्ट्र से पांच भारतीय नागरिकों को गलती से बांग्लादेश भेज दिया गया।

दरअसल, महाराष्ट्र के ठाणे इलाके में राजमिस्त्री का काम करने वाले मेहबूब शेख को 11 जून को अवैध बांग्लादेशी समझकर हिरासत में लिया गया था। 15 जून को उन्हें सिलीगुड़ी स्थित BSF शिविर में भेजा गया और बाद में बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया गया। जबकि उनके परिवार और स्थानीय पुलिस ने समय रहते उनके भारतीय होने से जुड़े जरूरी दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे।

मुर्शिदाबाद के पुलिस अधीक्षक कुमार सनी राज ने बताया कि जैसे ही इस गलती की जानकारी मिली, तुरंत स्थानीय स्तर पर जांच करवाई गई। जांच में मेहबूब शेख और चार अन्य लोगों की भारतीय नागरिकता की पुष्टि हुई, जिसके बाद इन सभी के दस्तावेज BSF को सौंपे गए। फिर BSF ने बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स से संपर्क कर फ्लैग मीटिंग की और पांचों नागरिकों को भारत वापस लाया गया।

इनकी पहचान मेहबूब शेख (भगवानगोला, मुर्शिदाबाद), नजीमुद्दीन मंडल और शमीम खान (हरिहरपारा, मुर्शिदाबाद), मिनारूल शेख (बेलडांगा, मुर्शिदाबाद) और मुस्तफा कमाल शेख (पुरबा बर्धमान) के रूप में हुई है।

पश्चिम बंगाल माइग्रेंट वेलफेयर बोर्ड के प्रमुख समीरुल इस्लाम ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्य सरकार और पुलिस ने इस मामले में केंद्र और BSF को सूचित किया। नतीजतन, मेहबूब शेख और शमीम खान को सोमवार को, जबकि अन्य तीन नागरिकों को रविवार को वापस भारत लाया गया।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “सिर्फ भाषा के आधार पर असली भारतीय नागरिकों को बांग्लादेशी बताना शर्मनाक है।” उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या कोई केवल बंगाली बोलने की वजह से बांग्लादेशी हो गया? हमें हर भारतीय भाषा पर गर्व होना चाहिए – चाहे वह बंगाली हो, गुजराती हो, मराठी हो या हिंदी।”

ममता ने यह भी कहा कि सरकार अब यह जांच कर रही है कि पश्चिम बंगाल के और कितने निवासी इसी तरह गलती से बांग्लादेश भेजे गए हैं।

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