🕒 Published 2 months ago (5:50 AM)
महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे! पार्टनर के पाकिस्तान जाने के बाद ऐसे बदला कंपनी का इतिहास
नई दिल्ली: महिंद्रा एंड महिंद्रा का नाम सुनते ही दिमाग में ताकतवर SUV, दमदार ट्रैक्टर्स और देशभक्ति से लबरेज ब्रांड की छवि बनती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे? जी हां, आज जो कंपनी इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की शान बन चुकी है, उसका नाम कभी कुछ और हुआ करता था। यह नाम बदलने की कहानी भी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है।
आज की महिंद्रा, कल थी कुछ और
आज अगर आप थार, स्कॉर्पियो या बोलेरो जैसी गाड़ियों के दीवाने हैं, तो उसके पीछे उस कंपनी की मजबूत विरासत है, जिसे आज हम महिंद्रा एंड महिंद्रा के नाम से जानते हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इसका नाम महिंद्रा एंड मोहम्मद था। यही वजह है कि महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है।
शुरुआत से जानिए महिंद्रा की कहानी
साल 1945, आजादी से ठीक दो साल पहले, लुधियाना में एक स्टील ट्रेडिंग कंपनी की शुरुआत हुई। इसके फाउंडर थे महिंद्रा ब्रदर्स – कैलाश चंद्र महिंद्रा और जगदीश चंद्र महिंद्रा, और उनके साथ थे मलिक गुलाम मोहम्मद। कंपनी का नाम रखा गया ‘महिंद्रा एंड मोहम्मद’। शुरुआत में इसका मुख्य काम स्टील के व्यापार से था। लेकिन आगे चलकर यही कंपनी बन गई देश की सबसे बड़ी SUV और ट्रैक्टर निर्माता। और यहीं से शुरू होती है वो कहानी जिससे महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे जैसी लाइन का मतलब समझ में आता है।
विभाजन ने बदल दी कहानी की दिशा
1947 में देश आजाद हुआ। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया। इसी बंटवारे के चलते कंपनी के तीसरे पार्टनर मलिक गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए। उन्होंने वहां जाकर पाकिस्तान के वित्त मंत्री का पद संभाला और फिर 1951 से 1955 तक पाकिस्तान के गवर्नर जनरल भी बने। लेकिन उनके जाने के बाद कंपनी के नाम में जो बदलाव आया, वो इतना चौंकाने वाला था कि आज भी महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे जैसी बातें याद की जाती हैं।
ऐसे बदला कंपनी का नाम
गुलाम मोहम्मद के पाकिस्तान चले जाने के बाद महिंद्रा ब्रदर्स के पास कंपनी की स्टेशनरी और मुहर रह गई, जिस पर M&M लिखा था। उस समय उनके पास कंपनी का नाम पूरी तरह से बदलने के लिए न तो फाइनेंशियल संसाधन थे और न ही समय। चूंकि अब कंपनी में सिर्फ दो महिंद्रा भाई रह गए थे, इसलिए उन्होंने बेहद स्मार्ट तरीके से कंपनी का नाम ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ रख दिया। यानी M&M वही रहा, लेकिन नाम पूरी तरह बदल गया। और यही वजह है कि आज जब आप यह कहानी सुनते हैं तो महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे सच साबित होता है।
गुलाम मोहम्मद का सफर पाकिस्तान में
गुलाम मोहम्मद ने पाकिस्तान में एक मजबूत राजनैतिक सफर तय किया। 1947 से 1951 तक वे पाकिस्तान के वित्त मंत्री रहे और फिर 1951 से 1955 तक वहां के गवर्नर जनरल बने। हालांकि, 1956 में महज 61 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई साझेदारी ने महिंद्रा के इतिहास की दिशा ही बदल दी। और एक नया अध्याय शुरू हुआ, जिसे आज की पीढ़ी महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे के रूप में याद रखती है।
आनंद महिंद्रा का योगदान
कैलाश चंद्र महिंद्रा के पोते आनंद महिंद्रा ने इस विरासत को न केवल संभाला, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आज आनंद महिंद्रा देश के सबसे चर्चित उद्योगपतियों में गिने जाते हैं। सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट वायरल होते हैं और उनके विचार युवाओं को प्रेरित करते हैं। उनके नेतृत्व में कंपनी ने ग्लोबल लेवल पर पहचान बनाई और आज ये दुनिया की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता बन चुकी है। और अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये सब अचानक हुआ, तो फिर से याद दिला दें – महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे।
जब कंपनी ने किए बड़े अधिग्रहण
महिंद्रा एंड महिंद्रा ने समय के साथ कई बड़े अधिग्रहण किए। 1999 में कंपनी ने गुजरात सरकार से गुजरात ट्रैक्टर्स का 100% हिस्सा खरीदा। फिर 2007 में पंजाब ट्रैक्टर्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया गया। इसके बाद कंपनी ने कई देशी और विदेशी ब्रांड्स को अपने अंदर समेटा और एक ग्लोबल प्लेयर बनकर उभरी।
आज की महिंद्रा: एक पहचान, एक ब्रांड
आज महिंद्रा एंड महिंद्रा सिर्फ एक कंपनी नहीं, एक ब्रांड है जो आत्मनिर्भर भारत की पहचान बन चुका है। कंपनी की गाड़ियां भारत में ही नहीं, विदेशों में भी खूब पसंद की जाती हैं। चाहे वह अमेरिका हो, अफ्रीका या ऑस्ट्रेलिया – महिंद्रा का नाम गूंजता है।
सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड में
‘महिंद्रा’ शब्द आज सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता है। चाहे वो नए मॉडल की लॉन्चिंग हो या फिर आनंद महिंद्रा की कोई पोस्ट, हर बार लोगों की नजरें इस पर टिकी होती हैं। और इस सबके पीछे वो इतिहास है, जो बताता है कि महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे क्यों कहा जाता है।
निष्कर्ष: इतिहास में छुपा है महिंद्रा की सफलता का राज
महिंद्रा एंड महिंद्रा की कहानी सिर्फ एक कंपनी की सफलता नहीं, बल्कि भारतीय उद्यमिता, समझदारी और दूरदर्शिता का प्रतीक है। नाम बदलने की एक घटना ने इस कंपनी को नई पहचान दी और आज यह न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में छाई हुई है। तो अगली बार जब आप थार की रफ्तार महसूस करें या बोलेरो की मजबूती देखें, एक बार जरूर सोचिएगा कि महिंद्रा का पुराना नाम जानकर चौंक जाएंगे – क्योंकि यह सिर्फ एक नाम नहीं, एक पूरा इतिहास है।
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