नागपुर: महाराष्ट्र में किसानों की पूर्ण ऋण माफी की मांग को लेकर पिछले दो दिनों से चल रहे अनिश्चितकालीन धरने के चलते नागपुर-मुंबई समृद्धि राजमार्ग पर बुधवार को करीब सात किलोमीटर लंबा जाम लग गया। बच्चू कडू के नेतृत्व में किसानों ने दो घंटे तक राजमार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया। इस दौरान हजारों वाहन जाम में फंसे रहे और ट्रक ड्राइवरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
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किसानों की चेतावनी और आंदोलन की स्थिति
स्वराज्य पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रशांत डिक्कर ने कहा कि सरकार यदि किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देती और सामान्य ऋण माफी की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो राज्यभर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसानों के अधिकारों की निर्णायक लड़ाई है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, धरना जारी रहेगा।
किसानों ने सड़क जाम कर यह संदेश दिया कि उनकी आवाज अनसुनी नहीं रहेगी। पुलिस प्रशासन ने मौके पर सतर्कता बरती और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। इस आंदोलन से राजमार्ग पर यातायात ठप हो गया और स्थानीय लोगों तथा वाहनों को भी गंभीर असुविधा हुई।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का बयान
किसान आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि सरकार ने शुरू से ही सकारात्मक भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि आंदोलन से पहले ही सरकार ने बैठक बुलाई थी और मुद्दों पर चर्चा कर समाधान निकालने का रोडमैप तय किया गया था।
सीएम ने कहा कि बच्चू कडू ने बैठक में शामिल होने के लिए सहमति जताई थी, लेकिन आधी रात को उन्होंने संदेश भेजा कि वे बैठक में शामिल नहीं हो सकते। इसके बावजूद सरकार ने किसान नेताओं के संपर्क में रहते हुए मुद्दों को सुलझाने का प्रयास जारी रखा।
फड़नवीस ने बताया कि सरकार ने किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए कमेटी भी गठित की है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है और जो कठिनाई में हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर मदद दी जाएगी।
ऋण माफी और सरकार की योजना
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कर्ज माफी सीधे किसानों के खाते में नहीं जाएगी। पहले बैंकों को पैसा जाएगा और उसके बाद किसानों को फायदा मिलेगा। उनका कहना था कि इस प्रक्रिया से सुनिश्चित किया जाएगा कि सहायता सही तरीके से किसानों तक पहुंचे। उन्होंने दोहराया कि सरकार कर्ज माफी के वादे से मुकर नहीं रही है और इसे उचित समय पर लागू किया जाएगा।
फड़नवीस ने यह भी कहा कि किसानों तक डायरेक्ट मदद पहुंचाना प्राथमिकता है और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आर्थिक सहायता प्रभावी तरीके से पहुंचे। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि सरकार किसानों के हित में लगातार कदम उठाती रहेगी।
आंदोलन का सामाजिक और आर्थिक असर
किसानों का यह आंदोलन न केवल राजमार्ग पर ट्रैफिक को प्रभावित कर रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल रहा है। ट्रक ड्राइवर और परिवहन व्यवसायी परेशान हैं, जबकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को दैनिक यात्रा में कठिनाई हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों के इस प्रकार के आंदोलन से सरकार पर दबाव बढ़ता है और यह नीति निर्धारण में तेजी लाने का एक तरीका बन सकता है। हालांकि, आंदोलन के कारण सुरक्षा और यातायात का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
नागपुर-मुंबई समृद्धि राजमार्ग पर लगे जाम और किसान आंदोलन ने महाराष्ट्र की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डाला है। मुख्यमंत्री फड़नवीस ने सरकार की सक्रिय भूमिका और कर्ज माफी की योजना पर जोर देते हुए किसानों को आश्वस्त किया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत किस दिशा में आगे बढ़ती है और आंदोलन का समाधान कब तक निकलता है।
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