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राहुल गांधी के छठ महापर्व बयान पर कानूनी विवाद, मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दायर

मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा छठ महापर्व को लेकर दिए गए बयान ने राजनीतिक और कानूनी गलियारों में हलचल मचा दी है। सकरा विधानसभा क्षेत्र के मझौलिया हाट मैदान में महागठबंधन की जनसभा में राहुल गांधी के भाषण के दौरान कही गई बातों को लेकर अब कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है।

अधिवक्ता ने दायर किया आपराधिक परिवाद

मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के न्यायालय में कांग्रेस नेता के खिलाफ आपराधिक परिवाद दायर किया है। उनका आरोप है कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि “प्रधानमंत्री वोट के लिए छठ महापर्व पर नौटंकी करते हैं, जरूरत पड़ी तो नाच भी सकते हैं और चुनाव के बाद भाग भी सकते हैं।”

बयान पर आरोप: धार्मिक और राजनीतिक रूप से अपमानजनक

अधिवक्ता का कहना है कि यह बयान केवल राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया और इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान हुआ। साथ ही, छठ महापर्व जैसे पवित्र त्योहार के प्रति जनता की आस्था को भी चोट पहुंची है। ओझा ने कहा कि इस तरह के बयान समाज में धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले हैं और राजनीतिक वातावरण को गरम करते हैं।

न्यायालय ने परिवाद स्वीकार किया

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने परिवाद को स्वीकार कर लिया है और मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को तय की है। अधिवक्ता सुधीर ओझा ने यह भी कहा कि राहुल गांधी अक्सर ऐसे बयान देते हैं जो हिंदू धर्म और उसके त्योहारों के प्रति अपमानजनक माने जाते हैं, जिससे समाज में आक्रोश फैलता है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बाद के जनसभाओं में राहुल गांधी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चुनाव में ऐसे बयान केवल मतदाताओं को भटकाने के लिए दिए जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छठ महापर्व जैसे धार्मिक पर्व पर दिए गए बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन इससे धार्मिक आस्था को चोट पहुँचना गंभीर मामला है।

छठ महापर्व की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता

छठ महापर्व बिहार सहित पूरे उत्तर भारत में अत्यंत पवित्र और आस्था का पर्व माना जाता है। इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है और यह परिवार और समाज में एकता की भावना को बढ़ाने का प्रतीक है। ऐसे धार्मिक पर्व पर राजनीतिक बयान समाज में विभाजन की संभावना बढ़ा सकते हैं।

कानूनी प्रक्रिया

कानूनी कार्रवाई के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी इस मामले की सुनवाई करेंगे और तय करेंगे कि क्या राहुल गांधी के बयान से किसी भी कानून का उल्लंघन हुआ है। मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को मौका दिया जाएगा।

राजनीतिक और सामाजिक असर

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनाव प्रचार में धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा बन सकते हैं। लेकिन इससे समाज में आक्रोश फैलने की संभावना रहती है। मुजफ्फरपुर कोर्ट में दायर परिवाद इसे न्यायिक निगरानी में ले आया है और आगे की प्रक्रिया न्यायालय तय करेगा।

राहुल गांधी के बयान के बाद मुजफ्फरपुर में दायर यह आपराधिक परिवाद बिहार विधानसभा चुनाव के राजनीतिक माहौल को और संवेदनशील बना सकता है। छठ महापर्व जैसी धार्मिक आस्था के साथ जुड़ी विवादास्पद टिप्पणियों का नतीजा राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तर पर देखा जाएगा। कोर्ट की सुनवाई और निर्णय इस मामले की दिशा तय करेगा।

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