🕒 Published 2 weeks ago (1:44 PM)
नई दिल्ली – Land for job case में सुप्रीम कोर्ट से लालू यादव को राहत नहीं मिली । लैंड फॉर जॉब केस के ट्रायल पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया है । राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इस मामले की सुनवाई पर स्टे लगाने (रोक) की मांग की थी। सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट कहा कि इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा ।
ट्रायल के दौरान व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने की छूट
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव को थोड़ी राहत भी दी है । राहत यह है कि उन्हें ट्रायल के दौरान व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से यह भी कहा कि वह लालू यादव की उस याचिका पर जल्द सुनवाई करे, जिसमें ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
क्या है ‘Land for job case’?
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। सीबीआई की जांच में आरोप लगाया गया था कि रेलवे में नौकरी देने के बदले उम्मीदवारों से बेहद सस्ते दामों पर ज़मीन ली गई। कई मामलों में जमीन बिना भुगतान के हस्तांतरित की गई। ज़मीन लालू यादव, उनके परिवार के सदस्य और उनसे जुड़े ट्रस्टों के नाम पर रजिस्टर्ड की गई।
Land for job case सुप्रीम कोर्ट का निर्णय क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: “हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है। ट्रायल को तेजी से चलाया जाए।” सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला साफ संकेत है कि यह मामला अब फाइनल ट्रायल की ओर बढ़ रहा है। अगर ट्रायल में लालू प्रसाद यादव और परिवार दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, और सरकारी पद के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोपों में सजा हो सकती है। यह केस राजनीतिक स्तर पर भी बड़ा असर डालेगा, खासकर बिहार और केंद्र की राजनीति में।
इस केस से जुड़े अन्य तथ्य
यह केस IRCTC घोटाले से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें रेलवे की कैटरिंग टेंडर में भी घोटाले का आरोप है। CBI ने इस घोटाले की शुरुआती FIR 2022 में दर्ज की थी, जिसके बाद छापेमारी और जांच तेज की गई। कई गवाहों के बयान, रजिस्ट्री दस्तावेज और बैंक लेन-देन की जांच के बाद CBI ने कोर्ट में पूरा मामला पेश किया। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने राजद नेता लालू प्रसाद यादव की पैरवी कर रहे थे । दूसरी ओर सीबीआई के वकील एस वी राजू ने केस की पैरवी की ।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लालू यादव और उनके परिवार के लिए यह कानूनी मोर्चे पर बड़ा झटका है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से ट्रायल पर रोक न लगाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि न्यायिक प्रक्रिया में अब कोई बाधा नहीं है। अब सबकी नजर पटना हाईकोर्ट पर होगी, जहां से इस मामले के स्पीडी ट्रायल की उम्मीद की जा रही है।