बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को बड़ा झटका लगा है । दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने आईआरसीटीसी घोटाला (IRCTC Scam) मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव सहित 16 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं।
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लालू यादव ने आरोपों से किया इनकार
अदालत ने कहा कि यह घोटाला लालू यादव की जानकारी और मंजूरी से हुआ था। बतौर रेल मंत्री उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाया। इसके बदले में उनके परिवार को बेहद सस्ते दामों पर जमीनें मिलीं। अदालत में पेश होकर लालू यादव ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि वे निर्दोष हैं। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने भी कहा कि यह केस पूरी तरह गलत है और वे न्याय के लिए मुकदमे का सामना करेंगे।
किन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
लालू यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी पर IPC की धारा 420 और 120B के तहत आरोप तय किए गए हैं। इसके साथ ही लालू यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13(1)(d) और 13(2) के तहत भी केस चलेगा, जो सरकारी पद के दुरुपयोग से जुड़ी हैं।
क्या है आईआरसीटीसी घोटाला ?
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस समय आईआरसीटीसी के दो होटलों — रांची और पुरी के बीएनआर होटल — के रखरखाव और संचालन का ठेका अनियमित तरीके से सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। आरोप है कि इस ठेके के बदले में लालू यादव और उनके परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन बहुत कम दाम पर दी गई।
कैसे शुरू हुई जांच
7 जुलाई 2017 को सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद एजेंसी ने लालू यादव और उनके करीबी लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की। जांच में यह सामने आया कि टेंडर प्रक्रिया में जानबूझकर हेराफेरी की गई थी ताकि लाभ पहुंचाया जा सके।
चुनाव से पहले राजनीतिक असर
बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस मामले में आरोप तय होना आरजेडी और महागठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला चुनावी रणनीति और लालू परिवार की छवि दोनों पर असर डाल सकता है।
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