जस्टिस जोयमाल्या बागची: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने का गौरवशाली सफर

By Ankit Kumar

🕒 Published 5 months ago (6:14 AM)

देश की न्यायिक प्रणाली में एक और महत्वपूर्ण नाम जुड़ गया है— जस्टिस जोयमाल्या बागची, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है। 13 वर्षों के गहन न्यायिक अनुभव के साथ, वह अब देश की सर्वोच्च अदालत में अपनी नई जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं।

न्यायिक सफर का एक अहम पड़ाव
जस्टिस बागची ने कलकत्ता हाई कोर्ट से अपने न्यायिक जीवन की शुरुआत की थी। 2010 में हाई कोर्ट के न्यायाधीश बनने के बाद, उन्होंने कानून के विभिन्न पहलुओं में अपनी विशेषज्ञता को साबित किया। उनका ट्रांसफर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में भी हुआ, लेकिन जल्द ही वह फिर से कलकत्ता हाई कोर्ट लौट आए। उनके 13 वर्षों के शानदार न्यायिक सफर में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जो भारतीय न्यायिक व्यवस्था के लिए मिसाल बन गए।



सुप्रीम कोर्ट तक का सफर और भविष्य की संभावनाएं
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी, जिसे 10 मार्च को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट में होली की छुट्टियों के कारण 17 मार्च को उनका शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया।

संभावित चीफ जस्टिस बनने की राह
जस्टिस जोयमाल्या बागची का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट में लगभग 6 साल का होगा। 26 मई 2031 को जब जस्टिस के वी विश्वनाथन सेवानिवृत्त होंगे, तो जस्टिस बागची भारत के चीफ जस्टिस बनेंगे। हालांकि, यह कार्यकाल सिर्फ 4 महीने और कुछ दिन का होगा, क्योंकि वह 2 अक्टूबर 2031 को सेवानिवृत्त हो जाएंगी।

भारतीय न्यायपालिका में उनका योगदान
सुप्रीम कोर्ट में कार्यभार ग्रहण करने के साथ, जस्टिस बागची ने देश के न्यायिक इतिहास में एक और नया अध्याय जोड़ दिया है। उनके निर्णय और नेतृत्व निश्चित रूप से भारतीय न्याय प्रणाली को नई दिशा देंगे। उनके न्यायिक दर्शन और नीतियों पर पूरे देश की नजर होगी, क्योंकि उन्होंने हमेशा निष्पक्षता और निष्कलंक न्याय की मिसाल कायम की है।

अब सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 33 हो गई है, यह देखना काफी रोचक होगा कि जस्टिस बागची अपने नए पद पर कैसे अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं और भारतीय न्यायपालिका को और मजबूत बनाते हैं।

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