🕒 Published 2 months ago (11:09 AM)
विभिन्न स्कूलों और केंद्रों में एबीवीपी की जीत
एबीवीपी ने जेएनयू के 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में 5 में से 2, स्कूल ऑफ सोशल साइंस में 5 में से 2, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में 2 में से 1, और स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस की 3 सीटों में से 2 सीटों पर एबीवीपी ने जीत हासिल की है। इसके अलावा, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की चारों सीटों, स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन की एकमात्र सीट और स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज की तीनों सीटों पर भी एबीवीपी का कब्जा हो गया है।
ऐतिहासिक सफलताएं
एबीवीपी का दावा है कि इस चुनाव में उन्हें दो ऐतिहासिक सफलताएं प्राप्त हुई हैं। पहली, स्कूल ऑफ सोशल साइंस में 25 वर्षों बाद एबीवीपी ने दो सीटों पर विजय प्राप्त की है, जो जेएनयू में वामपंथ के गढ़ के रूप में जाना जाता है। दूसरी सफलता स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में मिली, जहां एबीवीपी ने लंबे समय से वामपंथी प्रभाव के केंद्र माने जाने वाले इस स्कूल में भी दो सीटों पर जीत हासिल की है।
निर्विरोध जीत और केंद्रीय पैनल में बढ़त
एबीवीपी ने चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत से ही अपनी ताकत का एहसास दिलाया, जब कई काउंसलर पदों पर उनके उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए। इनमें सुरेंद्र बिश्नोई, प्रवीण पीयूष, राजा बाबू, और गोवर्धन सिंह जैसे उम्मीदवार शामिल हैं।
इसके अलावा, केंद्रीय पैनल की चार प्रमुख सीटों—अध्यक्ष (शिखा स्वराज), उपाध्यक्ष (निट्टू गौतम), महासचिव (कुणाल राय), और संयुक्त सचिव (वैभव मीणा)—में एबीवीपी के उम्मीदवार प्रारंभिक मतगणना में बढ़त बनाए हुए हैं।
काउंसिल में एबीवीपी की अहम जगह
एबीवीपी के जेएनयू इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा कि इस ऐतिहासिक जीत से अब जेएनयूएसयू काउंसिल में एबीवीपी की अहम भूमिका होगी। 42 में से 23 सीटों पर कब्जा करके परिषद ने काउंसिल में 50 प्रतिशत से अधिक सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह वामपंथ के गढ़ में एबीवीपी की बड़ी सेंध साबित होगी, और अब एबीवीपी का प्रभाव जेएनयूएसयू द्वारा लिए गए फैसलों में नजर आएगा।