🕒 Published 4 months ago (7:56 AM)
Jhakhand Train Accident: बरहेट में दो मालगाड़ियों की भीषण टक्कर, 2 की दर्दनाक मौत
झारखंड के साहिबगंज जिले के बरहेट में मंगलवार सुबह हुए एक दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। Jhakhand Train Accident में कोयला ढोने वाली दो मालगाड़ियाँ आपस में टकरा गईं, जिसमें दो लोको पायलट की दर्दनाक मौत हो गई और चार अन्य कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।
कैसे हुआ ये भयानक हादसा?
मंगलवार सुबह करीब 3:30 बजे यह भयावह हादसा हुआ। एनटीपीसी के एमजीआर लाइन पर चल रही मालगाड़ियों में यह टक्कर बरहेट यार्ड के समीप हुई। बताया जा रहा है कि कंट्रोलर की गलती के कारण दोनों गाड़ियाँ एक ही ट्रैक पर आ गईं और आमने-सामने टकरा गईं। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ज़ोरदार धमाका हुआ और दोनों इंजनों समेत कई बोगियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं।
मौत के साए में दबे लोको पायलट
हादसे के बाद इंजन में आग लग गई और उसमें फंसे लोको पायलटों के लिए बचने का कोई रास्ता नहीं बचा। मौके पर पहुंची राहत टीम ने बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक दो लोको पायलटों की जान जा चुकी थी। मृतकों की पहचान बोकारो के अंबुज महतो (32) और मुर्शिदाबाद के ज्ञानेश्वर माल (45) के रूप में हुई है।
हादसे के बाद मचा हड़कंप
जैसे ही Jhakhand Train Accident की खबर फैली, स्थानीय प्रशासन, रेलवे अधिकारी और राहत टीमें मौके पर पहुंची। दमकल विभाग को तुरंत बुलाया गया और उन्होंने राजमहल और साहिबगंज से आई दो दमकल गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक इंजन बुरी तरह जल चुका था।
घायल कर्मियों की हालत गंभीर
इस हादसे में चार अन्य कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। घायलों की पहचान निम्नलिखित रूप से की गई है:
जितेंद्र कुमार (32)
उदय मंडल (45)
राम घोष (55)
टीके नाथ (48)
इन्हें पहले बरहेट सीएचसी में प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर गंभीर हालत को देखते हुए मालदा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
हादसे के पीछे की असली वजह क्या?
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह हादसा कंट्रोलर की बड़ी लापरवाही का नतीजा था।
फरक्का से ललमटिया जा रही खाली मालगाड़ी बरहेट में बनी साइड लाइन पर खड़ी थी।
कोयला लेकर आ रही दूसरी मालगाड़ी को सीधे निकलना था, लेकिन गलती से उसे भी उसी साइड लाइन पर भेज दिया गया।
जैसे ही दूसरी गाड़ी वहां पहुंची, वह खड़ी गाड़ी से जा टकराई।
दोनों गाड़ियों में डबल इंजन लगे हुए थे, जिससे टक्कर की तीव्रता और बढ़ गई।
रेलवे अधिकारियों ने कंट्रोल रूम में तैनात कर्मियों से पूछताछ शुरू कर दी है और जल्द ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बताया?
बरहेट के स्थानीय लोगों का कहना है कि टक्कर इतनी भीषण थी कि पूरे इलाके में धमाके की आवाज गूंज उठी। आसपास के घरों में रह रहे लोगों की नींद खुल गई और वे मौके पर दौड़ पड़े।
प्रत्यक्षदर्शी राजेश मंडल ने बताया:
“हमने सोचा कोई बम फट गया है। बाहर निकल कर देखा तो रेलवे ट्रैक पर आग ही आग थी। ट्रेन के इंजन का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। कुछ लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे, लेकिन हम कुछ कर नहीं पाए।”
रेलवे की लापरवाही पर उठे सवाल
Jhakhand Train Accident ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अगर कंट्रोलर ने सिग्नल ठीक से दिया होता तो यह हादसा टल सकता था।
रेलवे अधिकारी घटना के साढ़े चार घंटे बाद मौके पर पहुंचे, जिससे राहत कार्य में देरी हुई।
एनटीपीसी के किसी बड़े अधिकारी ने सुबह 8 बजे तक भी घटनास्थल का दौरा नहीं किया, जिससे कर्मचारियों में भारी गुस्सा देखने को मिला।
रेलवे बोर्ड ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने का आश्वासन दिया है।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक मैनेजमेंट को अपडेट किया जाए, तो इस तरह के हादसों से बचा जा सकता है। रेल मंत्रालय अब ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम को और प्रभावी बनाने पर विचार कर रहा है, ताकि ऐसी दुर्घटनाएँ न हों।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे पर दुख जताया है और पीड़ितों के परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
Jhakhand Train Accident एक दर्दनाक घटना है, जो रेलवे की लापरवाही को उजागर करती है। दो लोको पायलटों की जान चली गई, चार लोग गंभीर रूप से घायल हैं और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। अब देखना यह है कि रेलवे इस घटना से सबक लेकर क्या कदम उठाता है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।
हमारी संवेदनाएँ मृतकों के परिवारों के साथ हैं और हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। रेलवे को इस घटना से सीख लेनी चाहिए और ट्रेन सुरक्षा को और मजबूत करना चाहिए।
अधिक जानकारी और ताज़ा ख़बरों के लिए जुड़े रहें hindustanuday.com के साथ।