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मोकामा में JDU की नई चाल: अनंत सिंह के बेटों के साथ प्रचार में उतरेंगे ललन सिंह, बदलेगा चुनावी समीकरण

मोकामा: बिहार की राजनीति एक बार फिर मोकामा विधानसभा सीट के इर्द-गिर्द गरमा गई है. बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब इस सीट पर जेडीयू ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. केंद्रीय मंत्री राजीव कुमार सिंह उर्फ ललन सिंह 3 नवंबर से मोकामा में डेरा डालेंगे और गांव-गांव जाकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश करेंगे.

शनिवार देर रात अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद रविवार तक उनके समर्थक प्रचार में जुटे रहे, लेकिन अब सोमवार से खुद ललन सिंह मोर्चा संभालेंगे. सूत्रों के मुताबिक, ललन सिंह मोकामा नगर परिषद क्षेत्र और आसपास के ग्रामीण इलाकों में रोड शो और जनसभाएं करेंगे, जहां वे अनंत सिंह के समर्थन में वोट मांगेंगे.

अनंत के बेटों के साथ दिखेंगे ललन सिंह

जेडीयू की योजना के मुताबिक, ललन सिंह के साथ अनंत सिंह के दोनों बेटे भी प्रचार अभियान में हिस्सा लेंगे. पार्टी मानती है कि अनंत सिंह की स्थानीय पकड़ और उनके परिवार की मौजूदगी से समर्थकों में भावनात्मक जुड़ाव बनेगा. मोकामा में भूमिहार और यादव वोटरों का अहम रोल है. जेडीयू की कोशिश है कि भूमिहार वोट पूरी तरह एकजुट होकर अनंत सिंह के पक्ष में जाएं, जिससे मुकाबला आरजेडी प्रत्याशी के खिलाफ आसान हो सके.

वीणा देवी के मैदान में उतरने से बदला समीकरण

आरजेडी ने इस सीट से वीणा देवी, जो सूरजभान सिंह की पत्नी हैं, को उम्मीदवार बनाया है. वीणा देवी भी भूमिहार समाज से आती हैं, इसलिए इस वर्ग के वोटों का बंटवारा चुनावी नतीजे तय कर सकता है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर भूमिहार वोटों में सेंध लगी तो वीणा देवी को यादव वोटों के साथ बड़ा फायदा मिल सकता है. ऐसे में जेडीयू ने भूमिहार मतदाताओं को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए ललन सिंह को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है.

रिश्तों में आई पुरानी खटास अब दोस्ती में बदली

ललन सिंह और अनंत सिंह के रिश्तों में कभी काफी तनातनी रही थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मुंगेर से ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि बाद में राजनीतिक समीकरण बदले और 2024 के लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने खुलकर ललन सिंह का समर्थन किया. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच दूरी कम होती चली गई. हाल के महीनों में दोनों कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में साथ नजर आए, जिससे जेडीयू के भीतर यह संदेश गया कि अब दोनों एक ही पाले में हैं.

मोकामा का जातीय गणित बना चुनौती

मोकामा क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण हमेशा जातीय संतुलन पर टिका रहा है. यहां भूमिहार, यादव और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की संख्या निर्णायक मानी जाती है.
जेडीयू रणनीतिकारों का मानना है कि यादव वोट बैंक पहले ही आरजेडी के साथ गोलबंद हो चुका है, इसलिए पार्टी को जीत के लिए भूमिहार और अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को अपने साथ रखना होगा. इसीलिए ललन सिंह को प्रचार अभियान की कमान सौंप दी गई है, ताकि भूमिहार समाज में सीधा संदेश जाए कि जेडीयू पूरी तरह अनंत सिंह के परिवार के साथ है.

हत्या और गिरफ्तारी के बाद बदल गया माहौल

हाल ही में हुई दुलारचंद यादव हत्याकांड और उसके बाद अनंत सिंह की गिरफ्तारी से मोकामा की राजनीति में बड़ा उतार-चढ़ाव आया है. विपक्ष जहां इस मुद्दे को लेकर जेडीयू पर हमलावर है, वहीं पार्टी इसे “कानूनी प्रक्रिया” बताते हुए जनता के बीच विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही है.

ललन सिंह का फोकस: विकास और भरोसे की राजनीति

ललन सिंह का मोकामा दौरा सिर्फ प्रचार तक सीमित नहीं रहेगा. वे अपने संबोधनों में केंद्र और राज्य सरकार की विकास योजनाओं का बखान करेंगे और जनता से अपील करेंगे कि अनंत सिंह के परिवार को समर्थन देकर मोकामा में स्थिरता लाएं. बताया जा रहा है कि वे “मोकामा विकास यात्रा” के नाम से कई कार्यक्रम करेंगे, जिनमें स्थानीय पंचायतों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक बैठकें होंगी.

जेडीयू के लिए प्रतिष्ठा का सवाल

मोकामा विधानसभा सीट हमेशा से बाहुबल और जनाधार का प्रतीक रही है. अनंत सिंह की पकड़ यहां दशकों से रही है. ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी में यह चुनाव जेडीयू के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि अगर ललन सिंह के नेतृत्व में भूमिहार और अति पिछड़ा वोट बैंक एकजुट हो गया, तो आरजेडी को कड़ी टक्कर दी जा सकती है.

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