जापान के पूर्व प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा पर हमला करने वाले शख्स को 10 साल की सजा सुनाई गई। वाकायामा जिला अदालत ने बुधवार को इस फैसले का ऐलान किया, जिसमें आरोपी रयूजी किमुरा (25) को पांच अलग-अलग आरोपों में दोषी ठहराया गया।
हमले की घटना और इसका विवरण
15 अप्रैल 2023 को जापान के वाकायामा शहर में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री किशिदा पर हमला हुआ था। किमुरा ने इस रैली में एक स्मोक बम फेंका, जिससे दो लोग घायल हो गए थे। हालांकि, प्रधानमंत्री किशिदा इस हमले में पूरी तरह सुरक्षित रहे। हमले के तुरंत बाद पुलिस ने किमुरा को गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से एक चाकू भी बरामद किया गया।

मुकदमे की कार्यवाही और बचाव पक्ष की दलीलें
फरवरी 2024 में जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, तब किमुरा ने हत्या की कोशिश के आरोपों से इनकार किया। उसने दावा किया कि उसका इरादा किशिदा को मारने का नहीं था। लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया और किमुरा को जानलेवा हमले, सार्वजनिक शांति भंग करने, अवैध हथियार रखने, और चुनावी प्रक्रिया बाधित करने जैसे पांच आरोपों में दोषी ठहराया।
पीएम किशिदा पर हमले का असर
प्रधानमंत्री किशिदा उस दिन निचले सदन के उपचुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे। जब हमला हुआ, तब स्थानीय समयानुसार सुबह 11:30 बजे का वक्त था। धमाके के बाद भी किशिदा ने अपनी स्पीच जारी रखी और लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की अपील की।
जापान में चुनावी रैलियों पर बढ़ती हिंसा
इस घटना से पहले भी जापान में राजनीतिक हमलों की घटनाएं सामने आई हैं। 8 जुलाई 2022 को पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की रैली के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वे नारा शहर में चुनाव प्रचार कर रहे थे, जब 42 वर्षीय हमलावर ने पीछे से उन पर हमला किया।
आबे पर हमले में इस्तेमाल की गई गन को इस तरह डिजाइन किया गया था कि वह कैमरे जैसी दिखे। हमलावर ने इसे काले पॉलीथिन में लपेटकर कैमरे की तरह बनाया और फोटो खींचने के बहाने उनके करीब पहुंचकर दो गोलियां चला दीं। इस घटना ने पूरे जापान को झकझोर दिया था।
जापान में बढ़ती सुरक्षा चिंताएं
जापान को दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में गिना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में हाई-प्रोफाइल नेताओं पर हमले चिंता का विषय बने हैं। पहले शिंजो आबे पर हमला और फिर किशिदा पर हमला यह दर्शाता है कि जापान की राजनीतिक सुरक्षा को लेकर नए कदम उठाने की जरूरत है। इस घटना के बाद जापान सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने का फैसला किया है।
हमलावर किमुरा कौन है?
रयूजी किमुरा (25) एक जापानी नागरिक है, जिसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं थी। उसने किशिदा पर हमला करने से पहले इंटरनेट पर कई राजनीतिक घटनाओं और सुरक्षा खामियों पर रिसर्च की थी। जांच में यह भी पाया गया कि किमुरा ने खुद से स्मोक बम बनाया और उसे रैली के दौरान इस्तेमाल किया।
अदालत का फैसला और जनता की प्रतिक्रिया

कोर्ट के इस फैसले का जापान में मिला-जुला असर देखने को मिला। कुछ लोगों का मानना था कि 10 साल की सजा पर्याप्त नहीं है, जबकि अन्य ने इसे एक सख्त और जरूरी फैसला बताया। न्यायपालिका ने इस केस में कड़ा रुख अपनाते हुए यह संदेश दिया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।
भविष्य में सुरक्षा के उपाय
जापान सरकार अब चुनावी रैलियों और सार्वजनिक कार्यक्रमों की सुरक्षा बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके तहत:
- रैलियों के दौरान सुरक्षा घेरा बढ़ाया जाएगा।
- नेताओं की सुरक्षा में और अधिक प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे।
- भीड़-भाड़ वाले इलाकों में हथियारों की चेकिंग की जाएगी।
निष्कर्ष
पूर्व प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा पर हमले के दोषी किमुरा को 10 साल की सजा सुनाए जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि जापान अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली में हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह घटना न केवल जापान बल्कि दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देशों के लिए भी एक चेतावनी है कि नेताओं की सुरक्षा और जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जापान सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और क्या कदम उठाती है।
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