नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में अपने करीबी सहयोगी सर्जियो गोर को राजदूत नियुक्त करने की घोषणा की है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस पर बेहद संयमित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक कार्यक्रम में सिर्फ इतना कहा – “मैंने इसके बारे में पढ़ा है।”
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भारत का सतर्क रुख
जयशंकर की यह संक्षिप्त टिप्पणी दर्शाती है कि भारत इस मुद्दे पर अभी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। वजह साफ है—गोर को दक्षिण और मध्य एशिया का विशेष दूत भी बनाया गया है, जिससे भारत को आशंका है कि अमेरिका, भारत-पाक रिश्तों में दखल देने की कोशिश कर सकता है।
सर्जियो गोर की अहमियत
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ट्रंप के बेहद करीबी माने जाते हैं।
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अमेरिकी सीनेट से मंजूरी अभी बाकी है।
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भारत-अमेरिका रिश्तों में व्यापार, इमिग्रेशन, पाकिस्तान और रूस जैसे मुद्दों पर खुलकर बातचीत की संभावना।
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नवंबर में ट्रंप के भारत आने और क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने की उम्मीद।
भारत की चिंताएं
भारत को यह पसंद नहीं है कि अमेरिका, भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में रखे। हाल ही में कश्मीर में हुए आतंकी हमलों के बाद भारत और सतर्क हो गया है।
ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाक के बीच “सीजफायर” करवाया, लेकिन भारत ने साफ किया कि यह बातचीत द्विपक्षीय थी, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं।
जयशंकर का साफ संदेश
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“भारत पिछले 50 साल से पाकिस्तान मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता।”
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अमेरिका से भारत अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन अपनी सीमाओं और नीतियों पर दखल नहीं।
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पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों का समाधान भारत सीधे बातचीत से करेगा, बाहरी दबाव से नहीं।
सर्जियो गोर की नियुक्ति ट्रंप प्रशासन के लिए रणनीतिक दांव है, लेकिन भारत ने बेहद संतुलित प्रतिक्रिया देकर साफ कर दिया है कि वह अमेरिका से सहयोग तो चाहता है, मगर पाकिस्तान के मामले में किसी भी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा। जयशंकर का “मैंने इसके बारे में पढ़ा है” कहना इसी सधे और सोच-समझे रवैये की झलक है।
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