संयुक्त राष्ट्र: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच पर एक बार फिर भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूती से पेश किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपने फैसले खुद लेता है और भविष्य में भी विकल्प चुनने की स्वतंत्रता कायम रखेगा। उन्होंने कहा कि भारत आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है।
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भाषण की शुरुआत ‘नमस्कार’ से
जयशंकर ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत की ओर से सभी को नमस्कार कहकर की। उन्होंने बताया कि ‘आत्मनिर्भरता’ का मतलब है अपनी क्षमताओं और ताकत को विकसित करना। चाहे यह विनिर्माण, अंतरिक्ष कार्यक्रम, दवाइयों के उत्पादन या डिजिटल अनुप्रयोगों में हो, भारत की सफलता विश्व को लाभ पहुंचा रही है।
भारत की प्रतिबद्धता: आत्मरक्षा
विदेश मंत्री ने कहा कि ‘आत्मरक्षा’ का अर्थ है अपने लोगों और हितों की सुरक्षा। इसका मतलब आतंकवाद को रोकना, सीमाओं की सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी बनाए रखना और विदेश में समुदाय की सहायता करना है।
आत्मविश्वास के साथ वैश्विक भूमिका
जयशंकर ने कहा कि ‘आत्मविश्वास’ का मतलब है कि दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को अपने वर्तमान और भविष्य का सही अनुमान होना चाहिए।
स्वतंत्र विकल्प और ग्लोबल साउथ की आवाज़
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की आज़ादी हमेशा बनाए रखेगा और वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज बनेगा। उन्होंने यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि शांति स्थापित करने वाले राष्ट्र समाधान खोजने में पहल करें।
शांति और ऊर्जा-खाद्य सुरक्षा पर जोर
जयशंकर ने शत्रुता समाप्त करने और शांति बहाल करने के लिए किसी भी पहल का समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर भी जोर दिया, खासकर 2022 के बाद से संघर्ष और व्यवधानों के संदर्भ में। व्यापारिक अस्थिरता और अनिश्चित बाज़ारों में जोखिम से बचाव की आवश्यकता पर उन्होंने प्रकाश डाला।
शुल्क और वैश्विक व्यापार
विदेश मंत्री ने वैश्विक व्यापार में अमेरिकी शुल्कों के प्रभाव पर भी टिप्पणी की। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क, जिसमें रूस से तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत शुल्क शामिल है, का जिक्र उन्होंने किया।
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