भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। रविवार, 2 नवंबर 2025 को इसरो अपने अब तक के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 (Gsat-7R) को लॉन्च करने जा रहा है।
यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:26 बजे होगी। इस मिशन के लिए इसरो अपने सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3-M5 का उपयोग करेगा।
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भारत से लॉन्च होने वाला अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट
CMS-03 का वजन करीब 4410 किलोग्राम है। यह भारत से लॉन्च किया जाने वाला सबसे भारी उपग्रह होगा। इससे पहले इसरो ने दिसंबर 2018 में 5854 किलो वजनी GSAT-11 को लॉन्च किया था, लेकिन वह फ्रेंच गुयाना से हुआ था।
अब पहली बार भारत अपनी धरती से इतना भारी सैटेलाइट लॉन्च की जा रही है, जो इसरो की तकनीकी क्षमता को एक नया मुकाम देगी।
LVM3-M5 रॉकेट से होगा प्रक्षेपण
इस मिशन के लिए इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5 को तैयार किया है, जो 4000 किलो से अधिक वजनी पेलोड को अंतरिक्ष में पहुंचाने में सक्षम है। रॉकेट को लॉन्च पैड पर स्थापित कर दिया गया है और उलटी गिनती (countdown) शुरू हो चुकी है।
हालांकि प्रक्षेपण से पहले इसरो ने मौसम की स्थितियों पर भी खास नजर रखी है, क्योंकि हाल के दिनों में चक्रवात की चेतावनी दी गई थी।
क्यों खास है CMS-03 (GSAT-7R) सैटेलाइट
CMS-03 उपग्रह को खास तौर पर भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया गया है। यह सैटेलाइट समुद्र में तैनात जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के बीच रियल-टाइम ध्वनि, वीडियो और डेटा संचार की क्षमता को बढ़ाएगा।
इसके अलावा, यह भारत की डिजिटल संचार प्रणाली, सैटेलाइट इंटरनेट, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन शिक्षा, टीवी प्रसारण और आपदा प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभाएगा।
बढ़ेगी भारत की समुद्री ताकत
CMS-03 के जरिए भारत की समुद्री सीमा की निगरानी और रक्षा संचार प्रणाली और अधिक मजबूत होगी।
यह सैटेलाइट दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने, संचार को सुरक्षित रखने और समुद्र में रणनीतिक नियंत्रण बढ़ाने में मदद करेगी । इस मिशन से भारतीय नौसेना की “सागर सुरक्षा” (Maritime Security) को नई तकनीकी बढ़त मिलेगी।
इसरो की अगली छलांग
CMS-03 की सफलता के बाद भारत सैटेलाइट क्लस्टर नेटवर्किंग और गहरे समुद्री क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की दिशा में और आगे बढ़ेगा। यह मिशन भारत की राष्ट्रीय संचार अवसंरचना (National Communication Infrastructure) को नई ऊर्जा देने वाला साबित होगा।
चंद्रयान का प्रक्षेपण भी LVM-3 रॉकेट ने ही किया था
इसरो का कहना है कहा कि CMS-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा । एलवीएम3 के पिछले मिशन ने चंद्रयान-3 मिशन को भी प्रक्षेपित किया था, जिसके परिणामस्वरूप ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बना।
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