🕒 Published 20 hours ago (8:15 PM)
मध्य-पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि आम आदमी की जेब और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी साफ दिखने लगा है। 12 जून को इजराइल द्वारा ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल केंद्रों पर किए गए हवाई हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 10% की जबरदस्त उछाल आया है। इसके चलते भारतीय शेयर बाजार भी टूट गया है और महंगाई का नया खतरा मंडराने लगा है।
क्यों बढ़ीं तेल की कीमतें?
ईरान, जो दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है, सामरिक रूप से अहम ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ के पास स्थित है — जहां से दुनिया का करीब 20% तेल गुजरता है। इस हमले के बाद बाजार में आशंका है कि ईरान तेल आपूर्ति बाधित कर सकता है या रास्ता बंद कर सकता है। इसी डर ने कीमतों को आसमान तक पहुंचा दिया।
तेल की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी?
ब्रेंट क्रूड की कीमत 10% उछलकर 78 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली गई है, जबकि अमेरिकी डब्ल्यूटीआई क्रूड 74 डॉलर के पार पहुंच गया। यह हाल के महीनों की सबसे बड़ी तेजी मानी जा रही है।
पेट्रोल-डीजल होंगे महंगे?
अगर तेल की कीमतें इसी तरह बनी रहीं तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। इससे ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर भी असर पड़ेगा — यानी महंगाई सीधे आम जनता को झेलनी पड़ेगी।
शेयर बाजार में गिरावट क्यों आई?
तेल की कीमतें बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। इससे कंपनियों की लागत और मुनाफे पर असर होता है, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ती है।
- बीएसई सेंसेक्स 1% से अधिक टूटा।
- जापान का निक्केई 1.3% गिरा।
- हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग 0.7% कमजोर पड़ा।
अमेरिकी बाजार पर संभावित असर
हमले के समय वॉल स्ट्रीट बंद था, लेकिन फ्यूचर्स ट्रेडिंग में गिरावट के संकेत मिले हैं। जानकारों का मानना है कि अमेरिकी बाजार भी अगले सत्र में 1% से ज्यादा गिर सकता है।
इजराइल ने हमला क्यों किया?
इजराइल ने इसे “प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक” बताया — यानी संभावित खतरे से पहले हमला। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा, “ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजराइल के अस्तित्व के लिए खतरा है। हम इसे बनने नहीं देंगे।” उन्होंने नतांज परमाणु केंद्र, मिसाइल अड्डों और सैन्य अफसरों को निशाना बनाया।
अगर युद्ध लंबा चला तो?
- तेल और भी महंगा हो सकता है
- महंगाई काबू से बाहर जा सकती है
- रुपये पर दबाव बढ़ेगा
- शेयर बाजार में गिरावट जारी रह सकती है
- ब्याज दरों में बदलाव की संभावना बढ़ेगी