🕒 Published 3 weeks ago (8:41 PM)
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। इसके केंद्र में हैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे। दोनों नेताओं के बीच हाल ही में हुई एक खास मुलाकात ने राजनीतिक अटकलों को नया मोड़ दे दिया है।
राजनीति की नई करवट?
गुरुवार को विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में मुख्यमंत्री फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच आधे घंटे से अधिक बातचीत हुई। इस दौरान शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। इन दोनों दिग्गज नेताओं की मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब एक दिन पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के लिए एक प्रस्ताव जैसी बात कही थी।
फडणवीस का बयान जो चर्चा में आ गया
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था, “उद्धव जी, 2029 तक आपके लिए कोई संभावना नहीं है, अगर चाहें तो हमारे साथ आ सकते हैं।” इस कथन ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
ठाकरे की प्रतिक्रिया और राजनीतिक शिष्टाचार
फडणवीस के इस बयान के बाद उद्धव ठाकरे मीडिया से मुखातिब हुए और इसे हल्के-फुल्के मजाक के रूप में लिया। उन्होंने कहा कि ये बातें विधानसभा परिसर में हुईं और उन्हें उसी संदर्भ में लेना चाहिए। इस बीच आदित्य ठाकरे और फडणवीस की एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुलाकात भी हुई, जहां आदित्य ने फडणवीस के ऑफर पर मजाकिया प्रतिक्रिया दी और कहा, “आपने ऑफर दिया, तो मैं स्वागत के लिए खड़ा हो गया।” इस पर फडणवीस ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मैं तो मजाक कर रहा था।”
एक किताब की भेंट और महत्वपूर्ण चर्चा
मुलाकात के दौरान उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री फडणवीस को ‘हिंदी अनिवार्य क्यों है?’ नामक एक पुस्तक भी भेंट की। वहीं सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान विपक्ष के नेता की भूमिका, त्रिभाषा फॉर्मूला और हिंदी अनिवार्यता जैसे विषयों पर भी गंभीर चर्चा हुई।
फोटो सेशन में दिखा सियासी सौहार्द
अंबादास दानवे के विदाई कार्यक्रम के फोटो सेशन के दौरान का दृश्य भी चर्चा का विषय बन गया। जब उद्धव ठाकरे वहां पहुंचे तो मुख्यमंत्री फडणवीस और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने खड़े होकर उनका स्वागत किया और उन्हें बैठने के लिए स्थान दिया। यह दृश्य राजनीतिक शिष्टाचार का प्रतीक माना गया।
क्या फिर जुड़ेंगे भाजपा और उद्धव ठाकरे?
इस मुलाकात के बाद यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि क्या भाजपा और उद्धव ठाकरे के बीच फिर से किसी तरह का सियासी समीकरण बन सकता है? हालांकि दोनों पक्षों ने इस पर अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।