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ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ बन रहा नया मोर्चा? डोभाल पहुंचे मॉस्को, मोदी जाएंगे चीन, ब्राजील भी आया साथ

नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई कूटनीतिक हलचल शुरू हो गई है। जहां एक ओर ट्रंप भारत को लगातार चेतावनियां दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रूस, ब्राजील और चीन जैसे वैश्विक शक्तिशाली देश भारत के समर्थन में खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। इन घटनाओं के बीच यह सवाल उठने लगा है कि क्या ट्रंप की आर्थिक नीतियों के खिलाफ कोई बड़ा वैश्विक गठबंधन बनने जा रहा है?

मॉस्को पहुंचे NSA डोभाल, रूस से रणनीतिक बातचीत
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल बुधवार को रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे। उनकी इस यात्रा के दौरान रूसी अधिकारियों के साथ ऊर्जा, रक्षा सहयोग और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद तेल कारोबार पर गहन चर्चा की गई। यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिका भारत पर रूस से तेल आयात को लेकर दबाव बना रहा है। इससे पहले रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्सांद्र फोमिन ने भारत के राजदूत से मुलाकात कर भारत-रूस संबंधों को और गहरा करने की बात की थी।

रूस ने दी ट्रंप को कड़ी प्रतिक्रिया
रूस ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत उसका विश्वसनीय साझेदार है और किसी भी देश की धमकियों से उनके आपसी संबंध प्रभावित नहीं होंगे। रूस ने यह भी दोहराया कि प्रत्येक संप्रभु देश को यह अधिकार है कि वह किसके साथ व्यापार करना चाहता है। ट्रंप की धमकी को मास्को ने आर्थिक दबाव की असफल कोशिश बताया।

ब्राजील भी भारत के समर्थन में, लूला ने ट्रंप को नजरअंदाज किया
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने भी अमेरिका के टैरिफ फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उनका देश WTO समेत सभी मंचों पर अपने हितों की रक्षा करेगा। उन्होंने ट्रंप से बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से संपर्क करेंगे। यह ट्रंप के लिए एक और बड़ा झटका था, खासतौर पर जब ब्राजील भी 50% टैरिफ का शिकार हुआ है।

PM मोदी की चीन यात्रा से बढ़ेगी हलचल
बुधवार शाम एक और बड़ी खबर सामने आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन का दौरा करेंगे। वह SCO सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वहां जा रहे हैं। यह यात्रा कई मायनों में खास है क्योंकि पीएम मोदी सात साल बाद चीन जा रहे हैं और ऐसे समय में जब भारत-अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में भारत के कई बड़े नेता — NSA अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर — भी चीन की यात्रा कर चुके हैं। अब पीएम मोदी का यह दौरा इन कूटनीतिक संकेतों को और मजबूत करता है कि भारत एशियाई सहयोगियों के साथ मिलकर अमेरिका के दबाव का मुकाबला करने की रणनीति अपना रहा है।

क्या बन रहा है नया वैश्विक गठबंधन?
रूस, चीन, भारत और ब्राजील — ये चारों देश पहले से ही ब्रिक्स संगठन में शामिल हैं। ट्रंप कई बार इन देशों पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का आरोप लगा चुके हैं। अब जब अमेरिका ने इन पर टैरिफ थोपे हैं, तो इन देशों के एकजुट होने की संभावनाएं और मजबूत हो गई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई में ट्रंप की नीतियों के खिलाफ एक नया अंतरराष्ट्रीय मोर्चा खड़ा हो रहा है।

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