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तेजस्वी यादव ने भाजपा को चुनौती दी – “तूफानों से लड़ने में मजा है, हमने संघर्ष पथ चुना है”

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोरों पर है और इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बड़ा हमला बोला है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा आईआरसीटीसी घोटाले में आरोप तय किए जाने के बाद तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

https://x.com/yadavtejashwi/status/1977635260990148657

तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा – “जब तक दंगाई एवं संविधान विरोधी भाजपा सत्ता में है और मेरी उम्र है, भाजपा से लड़ते रहेंगे। तूफानों से लड़ने में मजा ही कुछ और है। हमने संघर्ष पथ चुना है। संघर्ष पथ पर चलते-चलते अच्छे मुसाफिर बन निश्चित ही मंजिल प्राप्त करेंगे।”

इस बयान के जरिए उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि वे भाजपा के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई से पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि “हम बिहारी हैं, बाहरी से नहीं डरते।” तेजस्वी का यह बयान गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी के जवाब में आया जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि तेजस्वी को चुनाव लड़ने लायक नहीं छोड़ा जाएगा।

इस बीच, तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी दिल्ली में हैं जहां कोर्ट ने आईआरसीटीसी घोटाले में तीनों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। यह मामला यूपीए शासनकाल का है, जिसमें रेलवे के होटलों के टेंडर आवंटन में कथित गड़बड़ी हुई थी।

वहीं, राजनीतिक स्तर पर तेजस्वी की आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ बैठक होनी है। इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा होगी। संभावना है कि सोमवार शाम तक महागठबंधन का सीट शेयरिंग फार्मूला तय हो जाएगा।

राजनीतिक मोर्चे पर एक और दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया है जहां तेज प्रताप यादव ने अपने भाई तेजस्वी यादव को सोशल मीडिया पर अनफॉलो कर दिया है। इससे एक बार फिर लालू परिवार में अंदरूनी खींचतान की अटकलें तेज हो गई हैं।

फिलहाल, तेजस्वी यादव का यह रुख यह दर्शाता है कि वे भाजपा के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपनाए हुए हैं और किसी भी तरह से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। चुनाव नजदीक हैं और महागठबंधन की रणनीति, सीट शेयरिंग और जनता का रुख तय करेगा कि बिहार की राजनीति का अगला चेहरा कौन होगा।

चुनौतियाँ और चुनावी रणनीति आगे

  • कानूनी मोर्चे पर लड़ाई — आरोप तय होना तेजस्वी और परिवार के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती है। उसे अदालतों में जवाब देना होगा।
  • राजनीतिक गठजोड़ मजबूत करना — सीट शेयरिंग, सहयोगी दलों से तालमेल और जनता को जोड़ने वाला सियासी खेल तेजस्वी की जीत-दर जीत तय करेगा।
  • जनता विश्वास अर्जित करना — आरोपों के बीच जनता को यह दिखाना होगा कि वे सिर्फ बयानबाज़ी नहीं कर रहे, बल्कि बिहार के लिए ठोस काम करना चाहते हैं।
  • दुश्मन नहीं डरने का भाव — तेजस्वी के इस जज़्बे से साफ है कि वे आशंकाओं से नहीं मुड़ेंगे। उनका कहना है कि बिहार का लड़ना है, और बाहरी दबावों से डरना नहीं।

तेजस्वी यादव का यह बयान केवल शब्दों का हमला नहीं, बल्कि उस जज़्बे का प्रतीक है जिसे वे चुनावी मैदान में लेकर उतरना चाहते हैं। अब देखना होगा कि जनता, सहयोगी दल और विरोधी भाजपा इस चुनौती को कैसे लेते हैं — और यह दौर बिहार की राजनीति में किस तरह के बदलाव लेकर आता है।

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