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भारत का विदेशी कर्ज 747.2 अरब डॉलर पर, RBI ने जारी किए ताजा आंकड़े

नई दिल्ली: जून 2025 के अंत तक भारत का विदेशी कर्ज बढ़कर 747.2 अरब डॉलर हो गया है। यह मार्च 2025 की तुलना में 11.2 अरब डॉलर ज्यादा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को ताजा आंकड़े जारी किए।

GDP के मुकाबले विदेशी कर्ज का अनुपात

आरबीआई के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के संदर्भ में विदेशी कर्ज का अनुपात जून 2025 में 18.9 प्रतिशत रहा, जो मार्च के 19.1 प्रतिशत से थोड़ा कम है। अमेरिकी डॉलर और अन्य प्रमुख मुद्राओं जैसे येन, यूरो और SDR के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण विदेशी कर्ज का मूल्यांकन 5.1 अरब डॉलर कम दिखाई दिया।

रुपये के मूल्य में गिरावट से बढ़ा कुल कर्ज

यदि मुद्रा विनिमय के प्रभाव को अलग करें तो मार्च से जून तक भारत का बाहरी कर्ज 6.2 अरब डॉलर बढ़ा होता, लेकिन रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण वास्तविक वृद्धि 11.2 अरब डॉलर दर्ज की गई। जून 2025 में भारत पर दीर्घकालिक कर्ज (1 साल से अधिक अवधि का) 611.7 अरब डॉलर था, जो मार्च की तुलना में 10.3 अरब डॉलर ज्यादा है। अल्पकालिक कर्ज (1 साल तक) कुल विदेशी कर्ज का 18.1 प्रतिशत रहा।

विदेशी कर्ज में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा

भारत ने विदेशी कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिकी डॉलर (53.8%) में लिया है। इसके बाद भारतीय रुपया (30.6%), येन (6.6%), SDR (4.6%) और यूरो (3.5%) का स्थान है। जून 2025 में सामान्य सरकार का कर्ज घटा, जबकि गैर-सरकारी कर्ज में वृद्धि दर्ज हुई।

गैर-वित्तीय कंपनियों का हिस्सा सबसे अधिक

कुल विदेशी कर्ज में गैर-वित्तीय कंपनियों का हिस्सा 35.9 प्रतिशत रहा। इसके बाद जमा लेने वाली संस्थाएं (केंद्रीय बैंक को छोड़कर), सामान्य सरकार और अन्य वित्तीय संस्थाएं हैं। कुल विदेशी कर्ज में 34.8 प्रतिशत कर्ज, 23 प्रतिशत मुद्रा एवं जमा, 17.7 प्रतिशत व्यापार ऋण और अग्रिम और 16.8 प्रतिशत ऋण प्रतिभूति के रूप में है। जून 2025 में कर्ज राशि और ब्याज का भुगतान वर्तमान प्राप्तियों का 6.6 प्रतिशत रहा।

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