🕒 Published 5 months ago (6:48 AM)
गोवा इन दिनों चर्चा में है—कभी टूरिज्म को लेकर, तो कभी इतिहास पर छिड़ी बहस को लेकर। हाल ही में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के छत्रपति शिवाजी महाराज पर दिए गए एक बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। बीजेपी और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं, और अब यह बहस सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रही, बल्कि सड़कों तक पहुंच गई है।
शिवाजी महाराज पर बयान और विवाद की शुरुआत
शिव जयंती के मौके पर सीएम प्रमोद सावंत ने एक स्पीच में कहा था कि गोवा पूरी तरह से पुर्तगालियों के कब्जे में नहीं था और छत्रपति शिवाजी महाराज ने यहां के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित होने से बचाया था। इस बयान को लेकर गोवा के वरिष्ठ कोंकणी लेखक और पूर्व विधायक उदय भेंब्रे ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीएम की स्पीच में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इसके जवाब में भेंब्रे ने एक वीडियो जारी कर शिवाजी महाराज और गोवा के इतिहास से जुड़े तथ्यों को साझा किया।
लेखक के घर के बाहर बजरंग दल का प्रदर्शन
भेंब्रे के इस बयान से आहत होकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दक्षिण गोवा के मडगांव में उनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के बाद गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) के प्रमुख विजय सरदेसाई लेखक के समर्थन में उतर आए। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, “बीजेपी गोवा में वही करने की कोशिश कर रही है जो उसने उत्तर प्रदेश में किया।”
सरदेसाई ने बजरंग दल के प्रदर्शन को ‘दादागिरी’ करार देते हुए कहा, “गोवा को ‘बनाना रिपब्लिक’ नहीं बनने देना चाहिए। यहां के लोगों को अपने इतिहास को समझने और उस पर लिखने का पूरा अधिकार है।” उन्होंने आगे कहा कि अगर बीजेपी को आपत्ति है, तो वे इस पर खुली बहस के लिए तैयार हैं।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने भी सरदेसाई के आरोपों का जोरदार जवाब दिया। पार्टी प्रवक्ता गिरिराज पई वर्नेकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, “विजय सरदेसाई ने मंत्री बनने के लिए भारतीय संविधान की शपथ ली थी। अब वे गोवा के भारतीयकरण की बात कर रहे हैं। क्या यह पाखंड नहीं है?”
वर्नेकर ने आरोप लगाया कि “पुर्तगाली इतिहास हमेशा से हिंदुओं के खिलाफ पक्षपाती रहा है। सरदेसाई जैसे नेताओं के लिए वह इतिहास सुसमाचार हो सकता है, लेकिन हम हिंदू प्रतीकों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
भेंब्रे का स्टैंड – माफी नहीं, सच्चाई पर कायम
लेखक उदय भेंब्रे ने साफ कर दिया कि वे अपने बयान से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, “मैंने जो कुछ भी कहा, वह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है। मुझसे माफी की उम्मीद न करें, क्योंकि मैंने कोई गलत तथ्य नहीं दिए हैं।”
क्या कहता है इतिहास?
गोवा का इतिहास हमेशा से बहस का विषय रहा है। यह सच है कि शिवाजी महाराज ने 17वीं शताब्दी में गोवा के कुछ हिस्सों पर आक्रमण किया था और पुर्तगाली शासन को चुनौती दी थी। हालांकि, यह विवाद इस बात पर है कि उस समय गोवा पूरी तरह पुर्तगालियों के कब्जे में था या नहीं, और शिवाजी महाराज ने यहां के लोगों को धर्म परिवर्तन से कितना बचाया।
क्या यह सिर्फ इतिहास की लड़ाई है या राजनीति?
यह विवाद सिर्फ इतिहास तक सीमित नहीं है। गोवा की राजनीति में हिंदुत्व और सांस्कृतिक पहचान को लेकर चर्चाएं पहले भी होती रही हैं। बीजेपी हिंदुत्व की विचारधारा को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जबकि विपक्ष इसे “गोवा की मौलिक संस्कृति पर हमला” बता रहा है।
आगे क्या?
भले ही यह विवाद अभी जारी है, लेकिन इससे यह साफ हो गया है कि गोवा में इतिहास, राजनीति और सांस्कृतिक पहचान को लेकर बहस आगे भी चलती रहेगी। सवाल यह है कि क्या गोवा की राजनीति सिर्फ इतिहास पर बहस में उलझी रहेगी, या फिर यहां के लोगों के असली मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा?
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