🕒 Published 3 weeks ago (3:05 PM)
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम | Indian Nurse Nimisha Priya Case: यमन की जेल में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर भारत में की जा रही आखिरी कोशिशें अब लगभग समाप्त होती नजर आ रही हैं। यमन में एक व्यक्ति की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। इस बीच, भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दिया, उसने बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?
सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को साफ तौर पर कहा कि निमिषा प्रिया को बचाने के लिए वह अब और कुछ नहीं कर सकती। सरकार ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वह अपनी सीमाओं के भीतर रहकर हरसंभव प्रयास कर चुकी है।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया,
“यह बेहद जटिल मामला है। यमन का कानून ‘ब्लड मनी’ की व्यवस्था देता है, लेकिन यह पूरी तरह एक निजी मामला होता है। भारत सरकार इसमें सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकती।”
कोर्ट की प्रतिक्रिया और याचिकाकर्ता की अपील
जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने पूछा कि क्या भारत सरकार यमन सरकार से बात करके मृतक के परिवार द्वारा दी गई ब्लड मनी स्वीकार करवाने का प्रयास कर सकती है, तो सरकार ने कहा कि यह पूरी तरह उनके हाथ में नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रियाद स्थित भारतीय दूतावास इस मामले को देख रहा है और वे चाहते हैं कि कोई वरिष्ठ अधिकारी जाकर मृतक के परिवार से बात करे।
उन्होंने यह भी कहा,
“हम ब्लड मनी की राशि बढ़ाने के लिए भी तैयार हैं, बस सरकार सक्रिय भूमिका निभाए।”
निमिषा प्रिया का मामला क्या है?
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी हैं और एक प्राइवेट क्लीनिक चलाने के लिए यमन गई थीं। साल 2017 में यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है कि मृतक शख्स उनका बिजनेस पार्टनर था, और दोनों के बीच गंभीर विवाद हुआ था।
2020 में यमन की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। पिछले साल यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने भी उनकी अपील खारिज कर दी थी।
अब यमन के अभियोजन विभाग ने आदेश दिया है कि उन्हें 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाए।
भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए बयान के बाद यह साफ होता जा रहा है कि निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने की संभावनाएं अब बेहद सीमित रह गई हैं। यदि यमनी परिवार ‘ब्लड मनी’ को स्वीकार नहीं करता, तो भारत सरकार के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।