🕒 Published 2 days ago (11:54 AM)
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता के केंद्र में अक्सर दोनों देशों की वायुसेनाओं की तुलना होती है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारतीय वायुसेना न सिर्फ संख्या में, बल्कि तकनीकी ताकत में भी पाकिस्तान एयरफोर्स से कहीं आगे है। मौजूदा हालात में पाकिस्तान, भारत की हवाई शक्ति के सामने ठहर नहीं पाता।
भारतीय वायुसेना की वर्तमान क्षमता
भारतीय वायुसेना के पास इस समय लगभग 522 फाइटर जेट्स हैं। इनकी कुल लड़ाकू क्षमता करीब 730 विमानों तक जाती है। अभी IAF के पास कुल 31 स्क्वाड्रन हैं, लेकिन आने वाले महीनों में यह संख्या घटकर 29 रह जाने की संभावना है। एक स्क्वाड्रन में औसतन 18 से 20 फाइटर जेट शामिल होते हैं।
IAF के पास सुखोई-30MKI की सबसे बड़ी संख्या है, जो करीब 260 के आस-पास है। इनके अलावा 36 राफेल, और देश में बने तेजस Mk-1 और Mk-1A भी वायुसेना का हिस्सा हैं। सुखोई को Super-30 प्रोग्राम के तहत अपग्रेड किया गया है, जिसमें एडवांस्ड AESA रडार और ब्रह्मोस मिसाइलें जोड़ी गई हैं। मिराज-2000 और मिग-29 भी अभी सेवामें हैं, जबकि मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है।
पाकिस्तान की हवाई ताकत
पाकिस्तान एयरफोर्स के पास करीब 452 लड़ाकू विमान हैं और यह 25 स्क्वाड्रन में बंटे हुए हैं। इसकी प्रमुख ताकत JF-17 थंडर (149 यूनिट), चीन से मिले J-10C (20 यूनिट) और अमेरिका से लिए गए F-16 (लगभग 75 यूनिट) पर टिकी है। पाकिस्तान ने JF-17 Block-III संस्करण को शामिल कर अपनी वायुसेना में आधुनिक तकनीक जैसे AESA रडार और नए हथियार सिस्टम जोड़े हैं, जिससे उसकी गति और लागत-प्रभावी रणनीति में मजबूती आई है।
आगे की तैयारी और रणनीति
तकनीकी तौर पर भारत अब भी पाकिस्तान से आगे है। राफेल और अपग्रेडेड सुखोई-30 जैसे आधुनिक जेट पाकिस्तान के JF-17 और F-16 से कहीं ज्यादा उन्नत हैं। हालांकि भारत को स्क्वाड्रन की घटती संख्या के चलते सतर्क रहना होगा।
सरकार का लक्ष्य 2035 तक वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या को 42 तक पहुंचाना है। इसके लिए स्वदेशी AMCA प्रोजेक्ट और तेजस Mk-2 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान लाने की योजना बनाई गई है। दूसरी ओर पाकिस्तान भी J-35 स्टेल्थ फाइटर जैसे अत्याधुनिक विमानों पर नजर बनाए हुए है।
निष्कर्ष
फिलहाल भारतीय वायुसेना तकनीकी और संख्यात्मक दोनों दृष्टियों से पाकिस्तान से आगे है। हालांकि भविष्य में भी इस बढ़त को बनाए रखने के लिए भारत को तेज गति से आधुनिकीकरण पर काम करना होगा।