नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच भारत और रूस के रिश्ते लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। अमेरिका द्वारा दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ाने की कोशिशों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की साझेदारी और गहरी होती दिख रही है। अब भारत पहली बार रूस में फर्टिलाइजर कंपनी स्थापित करने की तैयारी में है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नया आयाम मिलेगा।
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अमेरिका की चिंता बढ़ी
अमेरिका और पश्चिमी देशों ने लंबे समय से भारत और रूस के बीच व्यापारिक और सामरिक रिश्तों पर नजर रखी है। विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान इस पर काफी दबाव देखने को मिला था। इसके बावजूद भारत ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए रूस के साथ संबंधों को और मजबूत किया है। यह नया कदम अमेरिका की रणनीति को सीधी चुनौती माना जा रहा है।
भारत का फर्टिलाइजर प्रोजेक्ट
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत रूस में अपनी पहली फर्टिलाइजर यूनिट लगाने जा रहा है। यह परियोजना देश में उर्वरक की उपलब्धता बढ़ाने और सप्लाई को स्थिर बनाए रखने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इस प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय रसायन एवं फर्टिलाइजर्स, नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड और इंडियन पोटाश लिमिटेड संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं।
रूस के संसाधनों का उपयोग
रूस में प्राकृतिक गैस, अमोनिया और कच्चे माल के विशाल भंडार का फायदा उठाते हुए यह यूनिट सालाना करीब 20 लाख टन यूरिया उत्पादन करने का लक्ष्य रखती है। परियोजना के लिए जमीन चयन, लॉजिस्टिक्स और गैस की कीमतों को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अंतिम चरण में है।
दिसंबर में हो सकता है ऐलान
अधिकारियों के अनुसार, परियोजना पर तेजी से प्रगति हो रही है और उम्मीद है कि दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इसका औपचारिक ऐलान किया जा सकता है। यह न केवल भारत की कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि होगी बल्कि दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी को भी और मजबूत करेगी।
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