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अमेरिका का टैरिफ झटका
अमेरिका की ओर से भारतीय उत्पादों पर 50% तक का भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद भारत के 48 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इसमें टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, चमड़ा, जूते, रसायन और मशीनरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी देश के दबाव में अपनी नीतियाँ नहीं बदलेगा।
भारत की रणनीति
भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए 40 देशों में विशेष आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है। इसमें यूके, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, कनाडा, मैक्सिको, रूस, तुर्की, दक्षिण कोरिया, यूएई और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े बाजार शामिल हैं।
लक्ष्य है—भारत को गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ टेक्सटाइल उत्पादों का भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बनाना।
भारत का टेक्सटाइल बाजार
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2024-25 में भारत का टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र: 179 अरब डॉलर
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घरेलू बाजार: 142 अरब डॉलर
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निर्यात: 37 अरब डॉलर
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वैश्विक टेक्सटाइल और परिधान बाजार: 800 अरब डॉलर
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भारत की हिस्सेदारी: 4.1% (छठा सबसे बड़ा निर्यातक)
 
ईपीसी की भूमिका
भारत सरकार और निर्यात संवर्धन परिषद (EPC) इस रणनीति के केंद्र में होगी।
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बाजारों का मानचित्रण
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उच्च मांग वाले उत्पादों की पहचान
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सूरत, पानीपत, तिरुपुर और भदोही जैसे हब्स को नए अवसरों से जोड़ना
 
एफटीए और नए अवसर
भारत जिन 40 देशों पर फोकस कर रहा है, उनमें मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और चल रही व्यापार वार्ताएँ निर्यात को और प्रतिस्पर्धी बनाएँगी।
वैश्विक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति न केवल अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करेगी बल्कि भारत को वैश्विक टेक्सटाइल बाजार में और मजबूत खिलाड़ी बनाएगी। अमेरिकी अधिकारी भी भारत की इस तेज और रणनीतिक प्रतिक्रिया से हैरान हैं।
भारत ने साफ कर दिया है—
“टैरिफ तांडव” के आगे झुकना नहीं, बल्कि और मजबूत होकर उभरना है।


