22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित किए जाने के फैसले पर अब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घड़ियाली आंसू बहा रहा है। पाकिस्तान ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र (UN) में उठाते हुए भारत के निर्णय को “खतरनाक” और “अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ” बताया है।
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधि उस्मान जादून ने भारत के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि सिंधु जल समझौते को रद्द करना 24 करोड़ पाकिस्तानी नागरिकों के जीवन पर संकट खड़ा कर सकता है। उन्होंने सुरक्षा परिषद से अपील की कि वह इस मामले पर नजर रखे और समय रहते हस्तक्षेप करे, ताकि कोई बड़ा मानवीय संकट न खड़ा हो।
पाक प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह नदियों के जल प्रवाह को रोकने या मोड़ने जैसी कार्रवाइयों से बाज आए। पाकिस्तान ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि जल संसाधनों को “हथियार” के रूप में इस्तेमाल करने की किसी भी कोशिश को रोका जाए।
इस पूरे प्रकरण पर पाकिस्तान लगातार तीखे बयानबाज़ी कर रहा है। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक उग्र बयान में कहा था, “सिंधु हमारा है। सिंधु में या तो हमारा पानी बहेगा या उनका खून।”
गौरतलब है कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौता हुआ था, लेकिन भारत ने सिंधु जल समझौते को बहाल करने की पाकिस्तानी अपील को सख्ती से खारिज कर दिया। भारत सरकार का स्पष्ट कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे पर चर्चा नहीं की जाएगी।
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