News

बैसारन घाटी आतंकी हमले के बाद भारत का बड़ा फैसला – सिंधु जल समझौता स्थगित, पाकिस्तान पर पड़ेगा गहरा असर

कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की उच्च स्तरीय बैठक में साल 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है।

पाकिस्तान की ‘लाइफलाइन’ पर लगा ब्रेक

सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियां—झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज—पाकिस्तान की जल आवश्यकताओं की रीढ़ हैं। इस जल प्रणाली पर पाकिस्तान की 80% कृषि भूमि (करीब 16 मिलियन हेक्टेयर) निर्भर करती है और 93% पानी सिर्फ सिंचाई में उपयोग होता है। यही जल पाकिस्तान की 21 करोड़ से ज्यादा आबादी की जरूरतें पूरी करता है। कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे बड़े शहर और तरबेला-मंगला जैसे प्रमुख पावर प्रोजेक्ट इसी जल पर निर्भर हैं।

अब भारत के नियंत्रण में आते ही पाकिस्तान को जबरदस्त जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इससे न केवल खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है, बल्कि शहरी जल आपूर्ति, बिजली उत्पादन और औद्योगिक गतिविधियां भी ठप हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पाकिस्तान में गंभीर अस्थिरता और अशांति फैलने की आशंका है।

क्या है सिंधु जल समझौता?

  • यह समझौता 19 सितंबर 1960 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के बीच रावलपिंडी में हुआ था।
  • संधि की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी।
  • समझौते के तहत भारत को पूर्वी नदियां (सतलज, ब्यास और रावी) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) दी गई थीं।
  • भारत को 19.5% पानी और पाकिस्तान को 80% से अधिक पानी आवंटित किया गया था।
  • भारत केवल अपने हिस्से के 90% जल का ही उपयोग करता है, शेष पानी पाकिस्तान चला जाता है।

कैसे बंटा था जल?

  • पूर्वी नदियां (भारत को पूर्ण अधिकार): रावी, ब्यास, सतलज – 168 मिलियन एकड़ फीट जल में से भारत को 33 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल।
  • पश्चिमी नदियां (पाकिस्तान को प्राथमिक अधिकार): सिंधु, झेलम, चिनाब – 135 मिलियन एकड़ फीट जल पाकिस्तान को।
  • इन नदियों का जल भारत से होकर पाकिस्तान पहुंचता है, और भारत इन्हें नियंत्रित कर सकता है।

संधि की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद जल विवाद उत्पन्न हुआ।
  • 1948 में भारत ने पानी रोका, जिससे पाकिस्तान को झटका लगा।
  • 1951 में विश्व बैंक के अध्यक्ष यूजीन ब्लेक ने मध्यस्थता स्वीकार की।
  • 10 साल की बातचीत के बाद 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ।
  • 12 जनवरी 1961 से यह संधि लागू हुई।

एक्सपर्ट की राय

कई विशेषज्ञ लंबे समय से इस समझौते को भारत की ऐतिहासिक भूल मानते रहे हैं। उनका कहना है कि यह समझौता भारत के हितों की अनदेखी करता है। उनका तर्क है: “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को प्रायोजित करता रहा है, जबकि भारत अब तक संयम बरतता रहा है। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।

 

Rita Sharma

Recent Posts

FIFA CLUB WORLD CUP 2025 : Bayern Munich Thrash Auckland City 10-0 to Set Record Win, बायर्न म्यूनिख ने ऑकलैंड सिटी को 10-0 से हराकर रचा इतिहास : FIFA CLUB WORLD CUP 2025

पासाडोना अमेरिका ,नई दिल्ली, FIFA CLUB WORLD CUP: Bayern Munich Record Win, रविवार को खेले…

3 hours ago

Haryana: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रेवाड़ी को दीं विकास योजनाओं की सौगातें

हरियाणा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रेवाड़ी में विकास परियोजनाओं की झड़ी लगाते हुए क्षेत्रवासियों…

4 hours ago

FIFA Club World Cup 2025: PSG का शानदार आगाज़, Atletico Madrid को 4-0 से हराया

पासाडेना, कैलिफोर्निया: FIFA CLUB WORLD CUP 2025:  चैंपियंस लीग विजेता पेरिस सेंट-जर्मेन (PSG) ने  रविवार…

4 hours ago

Sonam’s plan EXPOSED : राजा हत्याकांड, सोनम का प्लान सामने आया, एक और हत्या की थी तैयारी

इंदौर: राजा रघुवंशी हत्याकांड में एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। शिलॉन्ग…

4 hours ago

Taliban Punishment: आगरा में साइकिल चोरी के शक में नाबालिग से हैवानियत

डेस्क। जगदीशपुरा के बोदला क्षेत्र की घटना, पुलिस पर भी गंभीर सवाल आगरा के जगदीशपुरा…

6 hours ago