FirstContact: छोटे शहरों के LGBTQ+ समुदाय के लिए भारत का पहला मेटावर्स प्लेटफॉर्म

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By Rita Sharma

🕒 Published 2 months ago (7:51 AM)

भारत में LGBTQ+ समुदाय के लिए एक सुरक्षित, संवेदनशील और संवादात्मक डिजिटल स्पेस की जरूरत को समझते हुए दीपाली लखनपाल और आयुषी वर्मा ने FirstContact की शुरुआत की है। यह देश का पहला LGBTQ+ मेटावर्स प्लेटफॉर्म है, जो खासतौर पर टियर-2, 3 और 4 शहरों के क्वियर लोगों के लिए बनाया गया है। यह एक ऐसा वर्चुअल स्पेस है जहां यूज़र्स गुमनाम रहकर बातचीत कर सकते हैं, सपोर्ट पा सकते हैं और खुद को स्वतंत्रता के साथ व्यक्त कर सकते हैं।

कैसे शुरू हुआ FirstContact का सफर?

2023 की शुरुआत में पंजाब की दीपाली लखनपाल (33) और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से समाजशास्त्र में मास्टर्स कर चुकीं आयुषी वर्मा (28) ने इस प्लेटफॉर्म की नींव रखी। आयुषी की किन्नर समुदाय पर की गई रिसर्च ने इस प्रोजेक्ट को दिशा दी।

दीपाली बताती हैं, “जब मैंने लुधियाना में कुछ क्वियर लोगों से बातचीत की, तो पाया कि वे बेहद असहज महसूस करते हैं और ज़्यादातर लोग मेट्रो शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। मेरे खुद के पास भी ऐसा कोई स्पेस नहीं था, जहाँ मैं अपने जज़्बात खुलकर ज़ाहिर कर सकूं।”

क्यों खास है FirstContact?

  • गुमनामी की पूरी आज़ादी: इस प्लेटफॉर्म पर यूज़र्स अपनी पहचान छुपाकर भी बातचीत कर सकते हैं, जिससे आत्म-अभिव्यक्ति आसान हो जाती है।
  • ना कोई डेटिंग ऐप, ना NGO: यह Tinder या Grindr की तरह डेटिंग ऐप नहीं है और ना ही कोई औपचारिक NGO पोर्टल। यहां उद्देश्य है—महसूस करना, जुड़ना और सहज होना।
  • इंटरएक्टिव हाइब्रिड स्पेस: यूज़र्स वर्किंग ऑवर्स में भी एक-दूसरे से बात कर सकते हैं, गेम्स खेल सकते हैं और साथ में ब्रेक ले सकते हैं – यह एक डिजिटल “हैंगआउट” ज़ोन है।
  • कनेक्शन, न कि सिर्फ रोमांस: प्लेटफॉर्म का मकसद सिर्फ रोमांटिक कनेक्शन नहीं, बल्कि गहराई से जुड़ने वाले सपोर्टिव नेटवर्क बनाना है।

दीपाली कहती हैं, “जब आप अपनी पहचान के साथ सहज नहीं होते, तब किसी अजनबी से बात करना अपने दोस्तों से बात करने से ज़्यादा आसान लगता है।”

FirstContact: “A Plugin To Your Life”

आयुषी वर्मा के शब्दों में, “ये प्लेटफॉर्म आपकी ज़िंदगी का एक ऐसा प्लगइन है, जो आपके रोजमर्रा के काम को थोड़ा और इंसानी और मज़ेदार बना देता है।”

एक नई शुरुआत, एक नई उम्मीद

जहाँ Humsafar Trust जैसे संगठन LGBTQ+ समुदाय के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं, वहीं उनकी पहुंच अभी भी कुछ हद तक सीमित और औपचारिक है। FirstContact उन इलाकों में डिजिटल पहुंच बना रहा है, जहां अब तक खामोशी और अकेलापन ही साथी थे।

क्या भविष्य में बढ़ेगा इसका प्रभाव?

जहां Meta जैसे बड़े टेक दिग्गज मेटावर्स को अगली पीढ़ी की इंटरनेट दुनिया मानते हैं, वहीं FirstContact का फोकस तकनीकी चकाचौंध नहीं, बल्कि सहज और मानवीय जुड़ाव पर है। न कोई भारी-भरकम हार्डवेयर की जरूरत, न वर्चुअल प्रॉपर्टी की खरीद – बस एक साधारण, स्वागतयोग्य डिजिटल कम्यूनिटी स्पेस।

FirstContact LGBTQ+ समुदाय के लिए न सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन है, बल्कि एक इमोशनल रिवोल्यूशन भी है – खासकर उन आवाज़ों के लिए जो अब तक अनसुनी थीं।

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