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पेट्रोल 120 रुपये लीटर के पार? ईरान की चेतावनी से मंडराया तेल संकट का खतरा

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी उछाल की आशंका है। इसकी वजह है दुनिया के सबसे अहम तेल ट्रांजिट पॉइंट, स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ को लेकर ईरान की चेतावनी। अगर यह समुद्री मार्ग बंद होता है, तो भारत समेत दुनियाभर में तेल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ेगा, और पेट्रोल की कीमत ₹120 प्रति लीटर तक पहुंच सकती है।

संकट की जड़: क्यों अहम है स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़?

फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने वाला 33 किलोमीटर चौड़ा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ दुनिया का सबसे व्यस्त तेल ट्रांजिट पॉइंट है। वैश्विक कच्चे तेल का करीब 25% हिस्सा यहीं से गुजरता है। भारत के लिए यह और अहम हो जाता है क्योंकि देश का लगभग 40% कच्चा तेल इसी मार्ग से आता है।

ईरान की संसद ने हाल ही में अमेरिकी सैन्य कार्रवाइयों के जवाब में इस जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई इसकी मंजूरी देते हैं, तो वैश्विक तेल आपूर्ति में जबरदस्त रुकावट आ सकती है।

क्या तेल की कीमतें $150 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं?

इस आशंका ने पहले ही असर दिखाना शुरू कर दिया है। ब्रेंट क्रूड की कीमत $80 प्रति बैरल तक पहुंच चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह रास्ता पूरी तरह बंद हुआ, तो कच्चे तेल की कीमतें $120 से $150 प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

भारत पर असर: बढ़ेगी महंगाई की लहर

  • पेट्रोल-डीजल ₹120 प्रति लीटर तक जा सकते हैं
  • ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ेगी, जिससे रोजमर्रा की चीज़ें महंगी होंगी
  • लॉजिस्टिक्स, फार्मा और FMCG सेक्टर पर पड़ेगा सीधा असर
  • महंगाई की दूसरी लहर का खतरा मंडराएगा

भारत सरकार की तैयारी

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भरोसा दिया है कि देश के पास कई हफ्तों का रणनीतिक तेल भंडार मौजूद है। साथ ही भारत वैकल्पिक स्रोतों से तेल आपूर्ति जारी रखने की तैयारी में है।

भारत के पास विकल्प क्या हैं?

  • रूस, अमेरिका, ब्राज़ील और नाइजीरिया से विविधीकृत तेल आयात
  • विशाखापत्तनम, मैंगलोर और पुडुर में 5 मिलियन मीट्रिक टन का भंडारण
  • रूस से प्रतिदिन 2.16 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात

क्या ईरान सच में होर्मुज़ को बंद कर सकता है?

विशेषज्ञों का कहना है कि इसे पूरी तरह बंद करना ईरान के लिए आसान नहीं होगा। इसके लिए समुद्री माइंस या सैन्य टकराव जैसी कार्रवाइयों की जरूरत पड़ेगी, जिसका अमेरिका और उसके सहयोगी देश विरोध कर सकते हैं। हालांकि, आंशिक रुकावट भी वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों को आसमान पर पहुंचा सकती है।

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