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जयशंकर से मुलाकात में चीन ने फिर दोहराया ‘ड्रैगन-हाथी डांस’ मंत्र, रिश्तों में नरमी के संकेत?
बीजिंग से रिपोर्ट:
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे तनावों के बीच एक नई कूटनीतिक गर्माहट देखने को मिली है। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की चीन यात्रा के दौरान चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ हुई उच्चस्तरीय बातचीत में दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग को बढ़ाने की इच्छा जाहिर की।
चीन की राजधानी बीजिंग में हुई इस बैठक में हान झेंग ने ‘ड्रैगन और हाथी के मिलन’ की बात कहते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि एशिया की दो सबसे बड़ी ताकतों को एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं, सहयोग की भावना से आगे बढ़ना चाहिए।
झेंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 2023 में कजान (रूस) में हुई मुलाका

त को दोनों देशों के संबंधों में ‘टर्निंग पॉइंट’ बताया और कहा कि भारत और चीन को अब एक-दूसरे की कामयाबी में साझेदार बनना चाहिए।
भारत की ओर से सकारात्मक संकेत
विदेश मंत्री जयशंकर ने भी इस मौके पर स्पष्ट किया कि भारत किसी भी सुलझे हुए और स्थिर पड़ोसी रिश्ते के लिए संवाद को सबसे प्रभावी रास्ता मानता है। उन्होंने कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत और चीन जैसे पड़ोसियों के बीच खुला संवाद और सहयोग बेहद जरूरी है। जयशंकर ने इस बैठक को ‘सकारात्मक और आशाजनक’ करार दिया।
उन्होंने चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए यह भी कहा कि भारत, चीन की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) अध्यक्षता का समर्थन करता है और इस यात्रा से आगे बढ़ने वाले संवाद से द्विपक्षीय रिश्तों में नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
गलवान के बाद की पहली बड़ी मुलाकात
यह यात्रा कई मायनों में अहम मानी जा रही है क्योंकि यह गलवान घाटी में 2020 में हुए सैन्य टकराव के बाद भारत के विदेश मंत्री की पहली चीन यात्रा है। उस झड़प ने दोनों देशों के बीच विश्वास को बुरी तरह प्रभावित किया था। अब जब उच्चस्तरीय बैठकें फिर से शुरू हो रही हैं, तो दोनों पक्षों की ओर से रिश्तों को पटरी पर लाने के संकेत मिल रहे हैं।
जयशंकर इस समय चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। इसी अवसर पर उनकी यह द्विपक्षीय मुलाकात हुई, जिसने कूटनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है।
आगे क्या?
विश्लेषकों की मानें तो यदि यह संवाद इसी रुख में आगे बढ़ता रहा, तो भारत-चीन संबंधों में जमी बर्फ पिघल सकती है। लेकिन यह तभी संभव है जब दोनों देश सिर्फ बातचीत न करें, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भरोसा बहाल करने के लिए ठोस कदम भी उठाएं।
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