🕒 Published 3 weeks ago (9:41 PM)
भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को और भी ज्यादा खतरनाक और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस प्रयास के तहत अब इस मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण तैयार किया जा रहा है, जिसकी रफ्तार ध्वनि से कम से कम पांच गुना ज्यादा होगी। यह वर्जन पूरी तरह से तैयार होते ही ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज और शक्तिशाली मिसाइलों में शामिल कर देगा।
संयुक्त प्रयास से बनेगी हाइपरसोनिक ब्रह्मोस
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व महानिदेशक अतुल राणे ने हाल ही में एक इंटरव्यू में इस परियोजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत और रूस की टीमें मिलकर इस हाई-स्पीड संस्करण को विकसित करने में जुटी हैं। यह बातचीत रूस की राजधानी मॉस्को में हुई थी। राणे ने कहा कि फिलहाल ब्रह्मोस के कई संस्करण मौजूद हैं और दोनों देश लगातार इनकी क्षमताओं में सुधार कर रहे हैं।
तकनीकी तैयारी जोरों पर
ब्रह्मोस एक संयुक्त रक्षा परियोजना है, जो भारत की डीआरडीओ और रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच बनी है। इस परियोजना में भारत की हिस्सेदारी 50.5 प्रतिशत और रूस की 49.5 प्रतिशत है। हाइपरसोनिक वर्जन को लेकर रिसर्च और डेवेलपमेंट तेज गति से चल रही है। तकनीक पूरी तरह विकसित होने के बाद इसे लॉन्च किया जाएगा।
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होती है
हाइपरसोनिक मिसाइलें वो होती हैं, जिनकी गति आवाज की गति से कम से कम पांच गुना यानी करीब 6174 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे अधिक होती है। यह मिसाइलें इतनी तेजी से लक्ष्य तक पहुंचती हैं कि उन्हें ट्रैक करना या रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है। उड़ान के दौरान ये अपनी दिशा भी बदल सकती हैं, जिससे दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इन्हें रोकना नामुमकिन सा हो जाता है।
ब्रह्मोस की ताकत
ब्रह्मोस मिसाइल की स्पीड वर्तमान में Mach 2.8 से 3.0 तक है। इसके नए संस्करण की मारक क्षमता 450 से 800 किलोमीटर के बीच है। यह करीब तीन टन वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। इसे जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी सटीकता बहुत ज्यादा है, जिसका प्रमाण है इसका CEP (Circular Error Probable) केवल 1-2 मीटर। इसकी रडार से बचने की क्षमता इसे और भी खतरनाक बनाती है।
रक्षा मंत्री की सराहना और पाकिस्तान टकराव
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ब्रह्मोस की क्षमता की सराहना की थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ टकराव के समय ब्रह्मोस ने बड़ी भूमिका निभाई थी और उस दौरान मिसाइल ने शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किस वेरिएंट का इस्तेमाल हुआ था।
वैश्विक मांग में इजाफा
ब्रह्मोस मिसाइल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है। अभी तक लगभग 15 देशों ने इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है। हालांकि इसे उन्हीं देशों को बेचा जाएगा, जिन पर भारत और रूस दोनों को कोई आपत्ति न हो। राणे ने यह भी जानकारी दी कि अब अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल विकसित की जा रही है, जो आकार में छोटी लेकिन और भी प्रभावशाली होगी।