IND vs ENG: ओवल में भारत का टेस्ट रिकॉर्ड कमजोर, सिर्फ 2 जीत – क्या इस बार बदलेगा इतिहास?

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By Hindustan Uday

🕒 Published 4 days ago (10:37 AM)

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। इंग्लैंड सीरीज में 2-1 से आगे है और अंतिम मुकाबला लंदन के ऐतिहासिक केनिंग्टन ओवल मैदान में खेला जाएगा। इस मैदान पर भारत का प्रदर्शन अब तक औसत से भी नीचे रहा है, जिससे फैंस की चिंता और टीम इंडिया की चुनौती दोनों बढ़ गई हैं।

ओवल में भारत का रिकॉर्ड कैसा रहा है?

भारत ने अब तक ओवल में कुल 15 टेस्ट मैच खेले हैं:

  • जीत: 2

  • हार: 6

  • ड्रॉ: 7

यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि भारत को ओवल में जीत दर्ज करना हमेशा से कठिन रहा है। हालांकि, 2021 में भारत ने यहां इंग्लैंड को 157 रन से हराकर एक बड़ा उलटफेर किया था, जो इस मैदान पर भारत की सबसे बड़ी जीत मानी जाती है।

भारत की ओवल में पहली जीत – 1971 का ऐतिहासिक लम्हा

भारत ने ओवल में पहली बार 1936 में टेस्ट खेला था, लेकिन उस मुकाबले में उसे इंग्लैंड से 9 विकेट से हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद कई मुकाबले ड्रॉ रहे और फिर 1959 में इंग्लैंड ने भारत को पारी और 27 रन से हराया।

असली इतिहास रचा गया 1971 में, जब अजित वाडेकर की कप्तानी में भारत ने ओवल में इंग्लैंड को 4 विकेट से हराकर अपनी पहली जीत दर्ज की। यह भारत के विदेशी टेस्ट इतिहास के सबसे सुनहरे पलों में से एक है।

बीच के सालों में ड्रॉ और हार का सिलसिला

  • 1979–2007 के बीच भारत ने यहां 5 टेस्ट खेले – सभी ड्रॉ रहे।

  • फिर आया हार का दौर:

    • 2011: पारी और 8 रन से हार

    • 2014: पारी और 244 रन से करारी शिकस्त

    • 2018: 118 रन से हार

    • 2021: 157 रन से जीत (रोशनी की एक किरण)

    • 2023 WTC फाइनल (ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ): 209 रन से हार

अबकी बार क्या भारत बदल पाएगा इतिहास?

2025 की यह सीरीज भारत के लिए एक ‘करो या मरो’ की स्थिति है। इंग्लैंड अपने घरेलू मैदान और बढ़त के साथ उतरेगा, लेकिन भारत के पास भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जो इतिहास को पलट सकते हैं। ओवल में मिली पिछली जीत (2021) इस बार भारत के आत्मविश्वास को बढ़ा सकती है।

भारत को सीरीज बराबरी पर लाने के लिए न सिर्फ इंग्लैंड की मजबूत टीम को हराना होगा, बल्कि ओवल के कठिन रिकॉर्ड को भी तोड़ना होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम इंडिया इस चुनौती को कैसे स्वीकार करती है – पुराना इतिहास दोहराती है या नया इतिहास बनाती है

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