🕒 Published 4 months ago (10:47 AM)
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रसिद्ध शायर इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है। यह मामला उनके एक इंस्टाग्राम पोस्ट से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ शीर्षक से एक कविता साझा की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के जरिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचारों की अभिव्यक्ति के अधिकार को और अधिक मजबूती से स्थापित किया। अदालत ने कहा कि इमरान प्रतापगढ़ी की कविता में कोई आपत्तिजनक या भड़काऊ तत्व नहीं था।
सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थी कविता
इमरान प्रतापगढ़ी ने 29 दिसंबर को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक 46 सेकंड का वीडियो क्लिप साझा किया था। इस वीडियो में वह हाथ हिलाते हुए चलते दिख रहे थे और उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं। इस दौरान पृष्ठभूमि में ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ नामक गीत बज रहा था।
इस वीडियो को लेकर गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में दावा किया गया था कि यह वीडियो आपत्तिजनक है और सांप्रदायिक तनाव भड़का सकता है। हालांकि, इमरान प्रतापगढ़ी ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया कि उनकी कविता प्रेम और अहिंसा का संदेश देती है और इसका उद्देश्य किसी भी तरह से हिंसा भड़काना नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भले ही किसी व्यक्ति के विचारों से बहुत से लोग सहमत न हों, फिर भी विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि साहित्य, कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला जैसे माध्यम समाज को अधिक सार्थक बनाते हैं।
न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि इमरान प्रतापगढ़ी की कविता में कोई विवादास्पद बात नहीं थी और यह एक संवैधानिक अधिकार के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी जोड़ा कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारों के लिए जगह होनी चाहिए और किसी भी रचनात्मक अभिव्यक्ति को केवल इसलिए दंडित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह किसी विशेष समूह या व्यक्ति को पसंद नहीं आई।
एफआईआर का पृष्ठभूमि और कानूनी लड़ाई
गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज इस एफआईआर के खिलाफ इमरान प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में यह भी तर्क दिया कि यह मामला उनके विचारों को दबाने की कोशिश मात्र है। उन्होंने कहा कि उनका वीडियो केवल एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति था और इसमें किसी भी तरह की आपत्तिजनक या भड़काऊ सामग्री नहीं थी।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने यह भी माना कि सोशल मीडिया पर किसी कविता या वीडियो को साझा करना, जब तक कि वह किसी भी प्रकार की हिंसा को बढ़ावा न दे, वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है। इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
अदालत का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि साहित्य और कला के विभिन्न रूपों को लेकर समाज में भिन्न-भिन्न विचार हो सकते हैं। लेकिन किसी भी व्यक्ति को केवल इसलिए निशाना नहीं बनाया जा सकता क्योंकि उसकी अभिव्यक्ति कुछ लोगों को पसंद नहीं आई।
कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि यह मामला विचारों की स्वतंत्रता और उनके सम्मान से जुड़ा है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में असहमति के लिए स्थान होना चाहिए और केवल इसलिए किसी व्यक्ति को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उसने अपनी भावनाओं को रचनात्मक रूप से व्यक्त किया।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भविष्य की दिशा
यह मामला भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चल रही बहस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भविष्य में अन्य मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा, जिसमें किसी की अभिव्यक्ति पर सवाल उठाए जाते हैं।
इमरान प्रतापगढ़ी का यह मामला केवल एक व्यक्ति की कानूनी लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के व्यापक अधिकारों का भी मुद्दा था। अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसके विचारों की वजह से कानूनी कार्रवाई का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में साहित्य, कला और विचारों की अभिव्यक्ति को दबाने की कोई जगह नहीं है।
इमरान प्रतापगढ़ी को मिली इस राहत से यह संदेश जाता है कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी और किसी भी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए दंडित नहीं किया जाएगा क्योंकि उसकी अभिव्यक्ति कुछ लोगों को पसंद नहीं आई। अदालत का यह निर्णय लोकतंत्र, विचारों की स्वतंत्रता और न्यायिक निष्पक्षता का एक महत्वपूर्ण उदा
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