Imam Of Peace On Waqf Protest: इमाम ऑफ पीस ने खोली वक्फ बोर्ड की पोल – मुसलमानों को चेताया!

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By Rita Sharma

🕒 Published 2 months ago (4:29 AM)

नई दिल्ली 15 अप्रैल 2025 : भारत में वक्फ बिल को लेकर चल रहे विरोध के बीच एक अंतरराष्ट्रीय शिया धर्मगुरु ने ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। ‘इमाम ऑफ पीस’ के नाम से दुनियाभर में पहचाने जाने वाले मोहम्मद ताहिदी, जो ऑस्ट्रेलिया में शिया मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्होंने भारत के वक्फ बोर्ड को लेकर बेहद सटीक और साहसिक टिप्पणी की है।

ताहिदी का कहना है कि भारत के वक्फ बोर्ड को सरकार की निगरानी में रहना चाहिए, क्योंकि वे मनमानी नहीं कर सकते। उनका मानना है कि वक्फ बोर्ड का मकसद इस्लाम, मुसलमानों और मानवता की सेवा होना चाहिए — न कि राजनीति और ज़मीन कब्ज़ाने का ज़रिया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वक्फ जैसी संस्थाओं को प्रगतिशील, उदार और इंसानियत आधारित होना चाहिए।

UAE का उदाहरण देते हुए कही बड़ी बात

ताहिदी ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसी भी धर्म या समुदाय को विशेषाधिकार नहीं दिया जाता, बल्कि सभी को समान रूप से कानून का पालन करना होता है। उनका यह बयान भारत के संदर्भ में इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत का वक्फ बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर वक्फ बोर्ड है, लेकिन इसके बावजूद आम मुसलमानों के हित में इसका योगदान बेहद सीमित नजर आता है।

“वक्फ बोर्ड क्यों हो विशेष ट्रीटमेंट का हकदार?”

उन्होंने सवाल उठाया, “वक्फ बोर्ड को आखिर विशेष ट्रीटमेंट क्यों मिलना चाहिए?” साथ ही उन्होंने भारत के मुस्लिम समाज से अपील की कि वे धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत, न्याय और बराबरी की ओर ध्यान दें।

भारत में वक्फ बोर्ड पर बढ़ते सवाल

गौरतलब है कि भारत में वक्फ बोर्ड पिछले कुछ समय से विवादों में घिरा हुआ है। उस पर ज़मीन हड़पने, पारदर्शिता की कमी और राजनीतिकरण जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। इसके बावजूद कई मुस्लिम संगठन इसके समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं, वहीं कुछ संगठन वक्फ कानून में सुधार की मांग कर रहे हैं।

ताहिदी की आवाज़: एक नई दिशा की ओर

मोहम्मद ताहिदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस मुद्दे पर समाज के भीतर गहरी खाई दिख रही है। उनका संदेश स्पष्ट है — अगर वक्फ बोर्ड को वाकई मुसलमानों की भलाई करनी है, तो उसे एक आधुनिक, जवाबदेह और पारदर्शी संस्था बनना होगा। वरना यह संस्था केवल राजनीतिक औज़ार बनकर रह जाएगी।

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