🕒 Published 2 months ago (9:04 AM)
Naxalism in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों के बीच चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 2025 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में IED हमलों में घायल होने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या में करीब 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो केंद्र सरकार के मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने के लक्ष्य को मुश्किल बना रही है।
IED हमलों का कहर बढ़ा
पीटीआई-भाषा द्वारा प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल की पहली तिमाही में छत्तीसगढ़ में 23 IED हमले हुए, जिनमें 23 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। साथ ही, 500 किलो से अधिक वजन के 201 बम बरामद किए गए। जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में केवल 9 IED हमले हुए थे, जिनमें 6 जवान घायल हुए थे और 85 बम बरामद हुए थे।
बस्तर में सबसे अधिक सक्रियता
राज्य के बस्तर क्षेत्र में तैनात एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक, नक्सली अब आमने-सामने की लड़ाई से बच रहे हैं और IED को अपना मुख्य हथियार बना चुके हैं। हथियार, कैडर और मनोबल में कमी के कारण वो अब इस तरह की गैर-पारंपरिक युद्ध रणनीति अपना रहे हैं।
जवानों की रणनीति में बदलाव
सुरक्षा बलों को अब वाहनों की बजाय पैदल गश्त करने और पक्के रास्तों से बचने की सलाह दी गई है। 23 मार्च को बीजापुर जिले में दो STF वाहनों को IED हमले में निशाना बनाया गया था, जिसमें कई जवान घायल हुए थे।
दिल्ली से मिली चेतावनी
दिल्ली स्थित एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि IED इस समय सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं, क्योंकि इनके सटीक लोकेशन का पता लगाना आज भी चुनौती बना हुआ है। हालात को देखते हुए छत्तीसगढ़ और झारखंड में मार्च में हाई अलर्ट जारी किया गया था।
IED से निपटने के प्रयास
CRPF और COBRA की 25 से ज्यादा यूनिट्स को IED डिटेक्शन उपकरण और स्निफर डॉग्स से लैस किया गया है। इसके बावजूद नक्सली क्षेत्रों में बढ़ती IED गतिविधियां आगामी महीनों में अभियानों को और मुश्किल बना सकती हैं।