‘Marathi Victory Rally’, गरमाई महाराष्ट्र की सियासत, हिंदी भाषा ने 20 साल बाद ठाकरे बंधुओं को एक मंच पर ला दिया

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By Sunita Singh

🕒 Published 4 weeks ago (1:21 PM)

मुंबई  :  ‘Marathi Victory Rally’ महाराष्ट्र की राजनीति में आज  उस वक्त एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब दो दशकों से अलग- अलग रास्ते पर चल रहे ठाकरे बंधुओं की राह एक हो गई और वे एक मंच पर आ गए । यह कमाल कर दिया हिंदी को अनिवार्य करने के सरकारी आदेशों  ने । इस आदेश के खिलाफ शुरू हुए विरोध के बीच मुंबई के वर्ली डोम में  ‘मराठी विजय रैली’ आयोजित की गई। इस ऐतिहासिक रैली में करीब 20 साल बाद दो भाइयों का भरत मिलाप हुआ।  उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक ही मंच पर नजर आए। मंच से राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि यह रैली किसी राजनीतिक एजेंडे के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के हित को लेकर है।

जो बाला साहेब नहीं कर पाए वह फडनवीस ने कर दिया

राज ठाकरे ने कहा, “मैंने एक इंटरव्यू में कहा था कि झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है। आज आप देख सकते हैं, हम दोनों भाई एक मंच पर खड़े हैं। हमारे लिए सिर्फ महाराष्ट्र है, कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं।” अपने चिरपरिचित अंदाज़ में राज ने आगे कहा, जो बाला साहेब ठाकरे नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया – हमें एक कर दिया। आपके पास विधान भवन में ताकत है, लेकिन हमारे पास सड़कों पर जनशक्ति है।”

‘मराठी विजय रैली’ का रूप, ‘Marathi Victory Rally’

इस रैली को ‘ मराठी विजय रैली’ ‘Marathi Victory Rally’ नाम दिया गया, जिसमें किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा या बैनर नहीं लगाया गया। इसमें कांग्रेस और एनसीपी जैसे विपक्षी दल शामिल नहीं हुए, लेकिन आयोजनकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह मंच मराठी एकता के लिए है, राजनीतिक दलों के लिए नहीं। यह पहला मौका है जब उद्धव और राज ठाकरे 2006 के बाद एक मंच पर साथ दिखे हैं। उस समय वे बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ खड़े थे। बाद में उद्धव के शिवसेना प्रमुख बनने के बाद राज ने शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की थी।

हिंदी विवाद बना कारण

महाराष्ट्र सरकार ने 16 और 17 अप्रैल को हिंदी भाषा को अनिवार्य करने संबंधी आदेश जारी किए थे । उद्धव और राज ठाकरे ने इस आदेश के विरोध में संयुक्त रैली की घोषणा की थी, जिसे 5 जुलाई को ‘विरोध रैली’ के रूप में आयोजित किया जाना था। हालांकि, विरोध के दबाव में सरकार ने 29 जून को ये दोनों आदेश रद्द कर दिए। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने घोषणा की कि 5 जुलाई की प्रस्तावित रैली अब ‘विजय रैली’ के रूप में आयोजित की जाएगी, यह कहते हुए कि “यह मराठी जनशक्ति की जीत है।”

‘Marathi Victory Rally’ मराठी जनता के लिए एक भावनात्मक क्षण

‘Marathi Victory Rally’   बल्कि मराठी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान को बचाने का सार्वजनिक प्रदर्शन बन गई। राज और उद्धव का मंच साझा करना न केवल राजनीतिक नजरिए से अहम रहा, बल्कि मराठी जनता के लिए एक भावनात्मक क्षण भी था। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह ‘मराठी एकता’ भविष्य में महाराष्ट्र की राजनीति में कोई नया अध्याय लिखती है।

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