🕒 Published 2 months ago (6:29 AM)
नई दिल्ली। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर राणा को आखिरकार अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया। विशेष विमान से उसे 6 अप्रैल की शाम करीब 6.30 बजे पालम एयरपोर्ट पर उतारा गया, जहां उसका मेडिकल परीक्षण हुआ और फिर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।
अब यह मामला भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल मुकदमों में से एक बनने जा रहा है, जिसकी कानूनी अगुवाई वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन करेंगे।
कौन हैं दयान कृष्णन?
दयान कृष्णन देश के प्रमुख आपराधिक कानून विशेषज्ञों में शामिल हैं। वे सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं और नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु (NLSIU) के 1993 बैच से पढ़े हैं। उन्होंने 2001 संसद हमला, कावेरी जल विवाद, और 2012 दिल्ली गैंगरेप केस जैसे अहम मामलों में भी भूमिका निभाई है।
कृष्णन को 2014 में तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के प्रत्यर्पण मामलों में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।
2010 से ही तहव्वुर राणा केस से जुड़े हैं
दयान कृष्णन ने 2010 में शिकागो जाकर हेडली से पूछताछ करने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे। उन्होंने तब से ही इस केस में कानूनी रणनीति तैयार की। 2011 में रवि शंकरण और 2012 में रेमंड वार्ले जैसे जटिल प्रत्यर्पण मामलों में भी भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
अमेरिका में कानूनी लड़ाई में भारत की जीत
तहव्वुर राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का हवाला दिया, यानी एक ही अपराध में दो बार मुकदमा नहीं चल सकता। लेकिन दयान कृष्णन की कानूनी दलीलों ने अमेरिकी अदालतों को यह समझाया कि भारत में आरोपों की प्रकृति अलग है।
मई 2023 में अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज, फिर US डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, नाइंथ सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स और अंततः 21 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी राणा की दलीलों को खारिज कर दिया। 4 अप्रैल 2025 को उसकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई, जिससे भारत में उसका प्रत्यर्पण संभव हो सका।
मुकदमे की कानूनी टीम
- दयान कृष्णन – मुख्य लोक अभियोजक
- नरेंद्र मान – दिल्ली हाईकोर्ट में CBI का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं
- संजीवी शेषाद्रि, श्रीधर काले – सहयोगी अधिवक्ता
- NIA के अधिवक्ता भी शामिल
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस आतंकी हमले के आरोपी के खिलाफ भारत में मुकदमा किस दिशा में आगे बढ़ता है। देश की निगाहें इस पर टिकी हैं।