Waqf Act In Supreme Court : वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: मुस्लिम पक्ष ने उठाए मौलिक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के सवाल

Photo of author

By Rita Sharma

🕒 Published 2 months ago (1:32 PM)

नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट 1995 के खिलाफ ऐतिहासिक सुनवाई का आगाज़ हुआ है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं, संगठनों और राजनीतिक हस्तियों ने इसे भारत के संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है। यह मामला अब संवैधानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से गंभीर बहस का केंद्र बन गया है।

क्या है वक्फ एक्ट और क्यों उठा विवाद?

वक्फ एक्ट, 1995 के तहत, मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आता है। इस एक्ट के अनुसार, वक्फ की संपत्तियाँ उस उद्देश्य के लिए नियोजित होती हैं जो अल्लाह की राह में दान स्वरूप दी गई हों, जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसे आदि। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून अन्य धर्मों के लिए समान अधिकार नहीं देता और इससे संविधान में निहित समानता और धार्मिक स्वतंत्रता का हनन होता है।

मुस्लिम पक्ष के वकीलों की मुख्य दलीलें

1. कपिल सिब्बल ने रजिस्ट्रेशन को बताया अव्यवहारिक

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि कई वक्फ संपत्तियाँ सैकड़ों साल पुरानी हैं, जिनका दस्तावेजीकरण संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “अब आप 300 साल पुरानी वक्फ संपत्ति की वक्फ डीड कैसे मांग सकते हैं? यह न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि ऐतिहासिक संपत्तियों के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।”

2. राम जन्मभूमि केस का हवाला

सिब्बल ने राम जन्मभूमि केस की चर्चा करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों के संदर्भ में धारा 36 में यह उल्लेख है कि किसी संपत्ति को उपयोगकर्ता के आधार पर भी वक्फ घोषित किया जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का धार्मिक उद्देश्य से उपयोग करना चाहता है, तो उसे पंजीकरण की आवश्यकता क्यों हो?

3. संपत्ति के अधिकार को बताया खतरे में

एडवोकेट राजीव शकधर ने अनुच्छेद 31 का उल्लेख करते हुए कहा कि उसे संविधान से हटा दिया गया है, जिससे संपत्ति के अधिकार खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि “कोई कैसे किसी की धार्मिक पहचान या आस्था के आधार पर संपत्ति के साथ छेड़छाड़ कर सकता है?”

4. इस्लामिक आस्था और धार्मिक परंपराओं पर चोट

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि वक्फ इस्लाम का एक अभिन्न अंग है और इसे धर्म के मूल सिद्धांतों से जोड़ा जाना चाहिए। उनका कहना था कि “दान देना इस्लाम की आत्मा है। वक्फ व्यवस्था इस दान को स्थायी रूप देती है, जिसे छेड़ना इस्लाम की आंतरिक व्यवस्था में हस्तक्षेप होगा।”

मुद्दे की संवेदनशीलता और संभावित परिणाम

यह मामला केवल धार्मिक भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों की व्याख्या से भी जुड़ा है। यदि सुप्रीम कोर्ट वक्फ एक्ट को असंवैधानिक करार देता है, तो इसका व्यापक प्रभाव देश भर की लाखों वक्फ संपत्तियों पर पड़ेगा।

1. वक्फ एक्ट क्या है?
वक्फ एक्ट 1995 एक कानून है जिसके तहत मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है।

2. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला क्यों पहुंचा?
कुछ याचिकाकर्ताओं ने इस एक्ट को संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

3. मुस्लिम पक्ष की क्या मुख्य दलील है?
उनका कहना है कि वक्फ इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है और इसका नियंत्रण संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता के तहत आता है।

4. क्या इसका असर अन्य धर्मों पर भी पड़ेगा?
अगर अदालत इस कानून को असंवैधानिक ठहराती है, तो यह सभी धार्मिक संस्थानों की संपत्तियों के प्रबंधन पर प्रभाव डाल सकता है।

5. अगली सुनवाई कब होगी?
सुनवाई जारी है और अदालत ने अगली तारीख पर अन्य पक्षों को भी सुनने का निर्णय लिया है।

Leave a Comment