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हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला: ग्रुप-D कर्मचारियों से जुड़े मामलों में अब विभागीय अधिकारी स्वयं ले सकेंगे निर्णय

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने कॉमन कैडर ग्रुप-D कर्मचारियों के लिए एक अहम निर्णय लिया है। अब इन कर्मचारियों के अवकाश, भत्तों, चिकित्सा प्रतिपूर्ति और वेतन निर्धारण जैसे मामलों में संबंधित विभाग के अधिकारी खुद निर्णय ले सकेंगे। इस फैसले का उद्देश्य अनावश्यक देरी को रोकना और प्रशासनिक प्रक्रिया को अधिक सहज बनाना है।

मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस संबंध में सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए स्थिति को साफ कर दिया है। उन्होंने बताया कि अब ऐसे सभी मामले मानव संसाधन विकास निदेशालय को भेजने की जरूरत नहीं है, जिससे फाइलों की अनावश्यक ढेर और लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी।

भर्ती प्रक्रिया के बाद भी देरी से परेशान कर्मचारी

उल्लेखनीय है कि विज्ञापन संख्या 01/2023 के तहत बड़ी संख्या में कॉमन कैडर ग्रुप-D कर्मचारियों की नियुक्ति विभिन्न विभागों, मंडलायुक्त कार्यालयों और उपायुक्त (पंचकूला) कार्यालय में की गई थी। लेकिन नियुक्ति के बाद से ही इन कर्मचारियों के अवकाश, वेतन निर्धारण, भत्तों और चिकित्सा प्रतिपूर्ति जैसे सामान्य मामलों में निर्णय लेने के लिए बार-बार फाइलें मानव संसाधन विकास निदेशालय को भेजी जा रही थीं। इससे इन मामलों में अनावश्यक विलंब हो रहा था और कर्मचारी परेशान हो रहे थे।

अब किसे मिली है अधिकारिता?

मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुसार, अब इन मामलों में संबंधित विभागाध्यक्ष, मंडल आयुक्त और उपायुक्त (पंचकूला) ही सक्षम अधिकारी माने जाएंगे। उन्हें अब इन फाइलों को मानव संसाधन विकास निदेशालय की मंजूरी का इंतजार नहीं करना होगा।

हालांकि, यदि किसी विशेष मामले में मानव संसाधन विकास निदेशक ही सक्षम प्राधिकारी हैं, तो उस स्थिति में पहले एसएएस कैडर के अधिकारी की टिप्पणियां ली जाएंगी। फिर पूरे मामले को स्पष्ट तथ्यों और सिफारिशों के साथ निदेशालय में भेजा जाएगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

सरकार को यह महसूस हुआ कि छोटी-छोटी फाइलें भी ऊपर तक भेजने से समय की बर्बादी हो रही थी। इससे न केवल कर्मचारियों को मानसिक तनाव हो रहा था, बल्कि सरकारी कामकाज की गति भी प्रभावित हो रही थी। अब विभागीय स्तर पर ही निर्णय की व्यवस्था से फाइलों की संख्या में कमी आएगी और कार्यों का निपटारा समय पर हो सकेगा।

कर्मचारियों को मिलेगी राहत

इस फैसले से हजारों ग्रुप-D कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। उन्हें अब अपने छुट्टी, वेतन या भत्तों से जुड़ी परेशानियों के समाधान के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह निर्णय प्रशासनिक दक्षता और कर्मचारी संतुष्टि दोनों की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

Isha prasad

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