🕒 Published 1 month ago (4:17 PM)
चंडीगढ़/बहादुरगढ़। हरियाणा में 1 अप्रैल से बिजली दरों और फिक्स चार्ज में भारी बढ़ोतरी के बाद राज्य के उद्योगों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। बिजली की नई दरें खासकर छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। राज्य के उद्यमियों ने सरकार से इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
1 अप्रैल से लागू हुए नए रेट
नई दरों के मुताबिक, पहले बिजली के फिक्स चार्ज 165 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह थे, जिन्हें अब 125 रुपये बढ़ाकर 290 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा यूनिट दरों में भी 20 से 30 पैसे की बढ़ोतरी की गई है। यानि एक ओर जहां फिक्स चार्ज में 75 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है, वहीं यूनिट के हिसाब से भी उपभोक्ताओं को अब ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है।
इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उद्योगपतियों और कारोबारी वर्ग पर पड़ा है, जो पहले से ही महंगाई और प्रतिस्पर्धा के दबाव में हैं।
चैंबर ऑफ कॉमर्स ने जताया विरोध
बहादुरगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से एक बैठक आयोजित की गई जिसमें राज्य सरकार के इस फैसले का तीखा विरोध किया गया। उद्योगपतियों ने बिजली मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि बिजली दरों और फिक्स चार्ज में की गई वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए।
संगठन का कहना है कि राज्य सरकार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की बात तो करती है लेकिन व्यवहार में उद्योगों पर आर्थिक बोझ ही बढ़ाया जा रहा है। इससे राज्य के उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर विपरीत असर पड़ रहा है।
राज्यों की तुलना में हरियाणा महंगा
उद्योगपतियों ने यह भी कहा कि हरियाणा में बिजली दरें पड़ोसी राज्यों जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की तुलना में कहीं ज्यादा हो गई हैं। इन राज्यों में उद्योगों को बिजली पर राहत दी जा रही है, जिससे वहां निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। अगर हरियाणा सरकार समय रहते निर्णय नहीं लेती, तो यहां के उद्योग दूसरे राज्यों की ओर पलायन करने पर मजबूर हो जाएंगे।
बढ़े फिक्स चार्ज से लाखों का अतिरिक्त बोझ
संगठन का कहना है कि केवल फिक्स चार्ज में वृद्धि से ही एक औसत मध्यम स्तर के उद्योग पर हर महीने हजारों रुपये का अतिरिक्त बोझ आ गया है। बड़ी इकाइयों पर तो यह भार लाखों में पहुंच रहा है। इससे उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।
सरकार से राहत की मांग
उद्योग संगठन ने अपील की है कि राज्य सरकार बिजली दरों में की गई वृद्धि पर पुनर्विचार करे और फिक्स चार्ज को कम करने के साथ-साथ यूनिट दरों को भी यथावत रखा जाए। यदि सरकार उद्योगों को राहत नहीं देती, तो निकट भविष्य में राज्य में उद्योगों का ग्रोथ ठप हो सकता है और बेरोजगारी भी बढ़ सकती है।