भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज इस साल 26 अगस्त 2025, मंगलवार को पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। विवाहित महिलाएं और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को निर्जला उपवास रखकर करती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विषयसूची
रांची में तीज की चहल-पहल
राजधानी रांची में तीज का उत्सव एक दिन पहले से ही शुरू हो गया। सोमवार को बाजारों में जबरदस्त भीड़ उमड़ी। महिलाएं मेहंदी, चूड़ियां, साड़ियां और पूजन सामग्री खरीदने में व्यस्त दिखीं। शहर के हर हिस्से में सजावट और रौनक ने त्योहार का खास माहौल बना दिया।
महिलाओं की तैयारियां
तीज से पहले घरों में परंपरागत पकवान जैसे ठेकुआ और गुजिया बनाए गए। बाजार में मेहंदी की खुशबू और चूड़ियों की खनक हर जगह गूंज रही थी। महिलाएं श्रृंगार की वस्तुओं में खास दिलचस्पी लेती दिखीं, जिनमें लहठी, कांच की चूड़ियां, सिंदूर और बिंदी प्रमुख रहे।
पूजा विधि और परंपरा
हरतालिका तीज पर पूजन का शुभ समय सूर्यास्त से पहले माना जाता है। इस दिन चंद्र दर्शन नहीं किया जाता। व्रत के दौरान शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर पहले गणेश जी की आराधना की जाती है। व्रत कथा सुनना और रात्रि जागरण करना इस दिन की विशेष परंपरा है।
धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। अविवाहित कन्याओं के लिए यह उत्तम वर की प्राप्ति का साधन माना जाता है। मान्यता है कि जहां शिव-पार्वती की पूजा होती है, वहां सदैव शांति और समृद्धि का वास रहता है।
बाजार में खरीदारी का क्रेज
रांची के बाजारों में श्रृंगार किट, पूजन सामग्री, बांस की टोकरियां और ब्लाउज पीस की खूब बिक्री हुई। दुकानदारों का कहना है कि इस बार रंग-बिरंगी चूड़ियों और लहठियों की मांग सबसे ज्यादा रही। पहली बार व्रत करने वाली महिलाओं में खास उत्साह देखा गया और वे पारंपरिक लहठी खरीदने के लिए सबसे आगे रहीं।
अगर खबर पसंद आई हो तो इसे शेयर ज़रूर करें!


