🕒 Published 1 month ago (6:29 PM)
स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से दुष्कर्म के मामले में बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 2013 में दर्ज हुए दुष्कर्म मामले में आसाराम की अस्थायी जमानत को बढ़ाते हुए अब 7 जुलाई तक का समय दे दिया है। वर्तमान में आसाराम इस मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, और वह चिकित्सा आधार पर जमानत पर बाहर है।
जस्टिस इलेश वोरा और संदीप भट्ट की खंडपीठ ने 28 मार्च को दी गई तीन महीने की अस्थायी जमानत की अवधि को, जो कि 30 जून को समाप्त हो रही थी, अब 7 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है। अदालत ने यह फैसला याचिकाकर्ता द्वारा आवश्यक दस्तावेज रिकॉर्ड में पेश करने और प्रतिवादी पक्ष द्वारा उनके सत्यापन के लिए मांगे गए समय के आधार पर लिया।
सुनवाई के दौरान आसाराम के वकील ने अदालत से सिर्फ दो दिन की मोहलत मांगी ताकि जरूरी दस्तावेज अदालत में जमा कर सके और प्रतिवादी पक्ष उन्हें सत्यापित कर सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मामला सोमवार को सूचीबद्ध होता है, तो आसाराम को किसी भी हालत में आत्मसमर्पण करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि “मामले की विशिष्ट परिस्थितियों, विशेषकर नालसा से प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया को देखते हुए, हम अस्थायी जमानत को 7 जुलाई तक बढ़ाने के इच्छुक हैं।”
गौरतलब है कि जनवरी 2023 में गांधीनगर की एक अदालत ने आसाराम को 2001 से 2006 के बीच सूरत की एक महिला अनुयायी से बार-बार दुष्कर्म करने के मामले में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इससे पहले 2013 में राजस्थान के आश्रम में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में भी आसाराम को आजीवन कारावास की सजा दी जा चुकी है।
इससे कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी चिकित्सा आधार पर उसे अंतरिम जमानत दी थी, जो 31 मार्च को समाप्त हुई थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने 28 मार्च को उसे तीन महीने की अस्थायी जमानत दी थी। हालांकि, बाद में खंडपीठ में विभाजित निर्णय आने पर मामला तीसरे न्यायाधीश को भेजा गया था, जिन्होंने आसाराम को जमानत बढ़ाने के पक्ष में फैसला सुनाया।