गुजरात धमाका: 21 जानें लेने वाले पिता-पुत्र गिरफ्तार, जानिए कैसे डीसा में फैक्ट्री को बना रखा था मौत का कुआं!

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By Pragati Tomer

🕒 Published 4 months ago (5:31 AM)

गुजरात धमाका: 21 जानें लेने वाले पिता-पुत्र गिरफ्तार, जानिए कैसे डीसा में फैक्ट्री को बना रखा था मौत का कुआं!

गुजरात के डीसा में हुए गुजरात धमाका ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस हादसे में 21 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। जांच में जो खुलासे हुए, वे दिल दहला देने वाले हैं। पुलिस ने इस भयावह घटना के लिए जिम्मेदार फैक्ट्री मालिक पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है। सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे उन्होंने इस फैक्ट्री को मौत का कुआं बना रखा था?

कैसे हुआ गुजरात धमाका?

डीसा के एक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अवैध पटाखा फैक्ट्री में मंगलवार सुबह 9:45 बजे ज़बरदस्त गुजरात धमाका हुआ। यह धमाका इतना भयानक था कि फैक्ट्री की छत और दीवारें चकनाचूर हो गईं। वहां काम कर रहे 21 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। कई लोग घायल भी हुए, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है।

कैसे मौत का कुआं बनी थी ये फैक्ट्री?

जांच में पता चला कि फैक्ट्री के मालिक, खूबचंद मोहनानी और उनका बेटा दीपक, यहां अवैध रूप से पटाखे बना रहे थे। इसके लिए वे खुलेआम एल्युमीनियम पाउडर का इस्तेमाल कर रहे थे, जो एक अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ है।

  • फैक्ट्री में सुरक्षा के कोई उपाय नहीं थे।

  • पटाखे बनाने का कोई लाइसेंस नहीं था।

  • मजदूरों को शटर बंद रखकर काम करने को कहा जाता था ताकि कोई देख न सके।

  • गोदाम में खतरनाक केमिकल्स खुलेआम रखे गए थे।

गुजरात धमाका के बाद क्या हुआ?

धमाके के तुरंत बाद इलाके में हड़कंप मच गया। फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम तुरंत मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फैक्ट्री पूरी तरह से तबाह हो चुकी थी और अंदर फंसे मजदूरों के बचने की कोई उम्मीद नहीं बची थी।

कैसे हुई पिता-पुत्र की गिरफ्तारी?

घटना के बाद गुजरात पुलिस ने तुरंत जांच शुरू कर दी।

  • पुलिस ने फरार फैक्ट्री मालिक खूबचंद मोहनानी को साबरकांठा जिले से गिरफ्तार कर लिया।

  • उसका बेटा दीपक पहले ही पकड़ा जा चुका था।

  • दोनों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कैसे हुआ गुजरात धमाका? फोरेंसिक रिपोर्ट का चौंकाने वाला खुलासा!

गुजरात पुलिस ने जब फोरेंसिक जांच कराई तो एक बड़ा खुलासा हुआ। फैक्ट्री में एल्युमीनियम पाउडर और पीला डेक्सट्रिन पाउडर मिला, जो पटाखा बनाने में इस्तेमाल होता है। यही नहीं, यह भी पाया गया कि जिस तरह से इन केमिकल्स को स्टोर किया गया था, वह बेहद खतरनाक था।

  • एल्युमीनियम पाउडर विस्फोटक नहीं होता, लेकिन ज्वलनशील होता है।

  • फैक्ट्री में आग लगने की स्थिति में कोई इमरजेंसी एग्जिट नहीं था।

  • शटर बंद होने के कारण मजदूर बाहर नहीं भाग सके और अंदर ही फंस गए।

गुजरात धमाका

गुजरात धमाका में मारे गए लोगों का दर्दनाक सच!

इस हादसे में जान गंवाने वालों में ज़्यादातर मध्य प्रदेश के हरदा और देवास जिलों से आए प्रवासी मजदूर थे।

  • 18 मजदूरों का अंतिम संस्कार मध्य प्रदेश में किया जाएगा।

  • एक बच्चे की सिर्फ सिर मिली, उसका शरीर धमाके में पूरी तरह खत्म हो गया।

  • कई शव इतने बुरी तरह जले थे कि उनकी पहचान भी मुश्किल थी।

आखिर कौन है दीपक मोहनानी?

गुजरात धमाका के मुख्य आरोपी दीपक मोहनानी का अतीत भी विवादों से भरा हुआ है। तीन साल पहले उसे क्रिकेट सट्टेबाजी के मामले में भी गिरफ्तार किया गया था। लेकिन तब वह बच निकला था। इस बार पुलिस ने उसे सबूतों के साथ गिरफ्तार किया है।

खुलेआम बिकता है एल्युमीनियम पाउडर!

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर एल्युमीनियम पाउडर इतना खतरनाक है तो यह बिना लाइसेंस के कैसे बेचा जाता है?

  • इस पाउडर का इस्तेमाल सिर्फ पटाखों में ही नहीं बल्कि अन्य औद्योगिक कार्यों में भी होता है।

  • इसे खरीदने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती।

  • कई दुकानों में यह खुलेआम बिकता है, जिससे अवैध फैक्ट्रियों में इसका धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है।

सरकार को उठाने होंगे सख्त कदम!

गुजरात धमाका के बाद सरकार और प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं।

  • क्या ऐसी फैक्ट्रियों की समय-समय पर जांच नहीं होनी चाहिए?

  • बिना लाइसेंस पटाखा बनाने वालों पर पहले ही कार्रवाई क्यों नहीं होती?

  • मजदूरों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम क्यों नहीं बनाए जाते?

निष्कर्ष: गुजरात धमाका बना चेतावनी!

गुजरात धमाका न सिर्फ एक हादसा था, बल्कि यह एक चेतावनी भी है। जब तक सरकार और प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाएंगे, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। मजदूरों की जान इतनी सस्ती नहीं हो सकती कि कुछ पैसे के लालच में कोई भी उन्हें मौत के मुंह में धकेल दे।

यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सिर्फ हादसों के बाद ही जागेंगे? या फिर कोई ठोस कदम भी उठाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह के गुजरात धमाका से बचा जा सके।

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